गुरुवार, 25 अप्रैल 2024
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जानवरों को आभास हो जाता है प्राकृतिक विपदाओं का, जानिए राज

Natural disasters | जानवरों को आभास हो जाता है प्राकृतिक विपदाओं का, जानिए राज
पशु, पक्षु और अन्य जानवरों को प्राकृतिक विपदा या अन्य किसी भी तरह की विपदाओं का पहले से ही आाभास हो जाता है। कहते हैं कि जानवरों में सूंघने और स्थिति को भांपने की शक्ति बहुत ही तेज होती है। जीव-विज्ञानी बताते हैं कि भविष्य में होने वाली घटना के संकेत पाने के लिए या भविष्य में होने वाली घटनाओं को सूंघने के लिए बहुत से जानवरों में संवेदी अंग पाए जाते हैं। इन अंगों की वजह से उन्हें किसी भी बड़ी घटना की सूचना पहले ही मिल जाती है। आओ जानते हैं कि इस संबंध में रोचक जानकारी।
 
*मान्यता अनुसार जिस घर में काले चूहों की संख्या अधिक हो जाती है वहां किसी व्याधि के अचानक होने का अंदेशा रहता है। यह भी माना जाता है कि यदि घर में काले रंग के चूहे बहुत अधिक तादाद में दिन और रात भर घूमते रहते हो तो, समझ लीजिए कि किसी रोग या शत्रु का आक्रमण होने वाला है।
* यह बड़ा ही अजीब है कि चूहों का घर में होना अशुभ माना जाता है लेकिन छछूंदरें हैं तो वह शुभ है। कहते हैं कि जिस भवन में छछूंदरें घूमती हैं वहां लक्ष्मी की वृद्धि होती है।
 
* घर में मूषक (चूहा), पतंगा, पिपीलिका, मधुमक्खी, दीमक तथा सूक्ष्म कीटों का प्रकट होना अमंगल का सूचक है।
 
* सांपों में किसी भी भूकंप और सुनामी जैसे विनाशकारी तूफान के बारे में जानकारी देने की क्षमता होती है। सांप अपने जबड़े के निचले हिस्से को जमीन से लगाकर धरती से उठने वाली तरंगों और सूक्ष्म हलचल को महसूस कर लेता है। भूकंप का अहसास होते ही संप अपना बिल छोड़कर बाहर आ जाता है क्योंकि वह जानता है कि बिल भी ढह सकता है।वैज्ञानिकों का कहना है कि ज्यादातर जानवर पृथ्‍वी से आने वाली तरंगों के आधार पर और हलचल की आवाज को सुनकर ही भविष्य के प्रति सतर्क हो जाने को आगाह करते हैं।
 
* सांपों की तरह ही मेंढकों को भी भूकंप का पता चल जाता है। यदि सभी मेंढक एक साथ तालाब को छोड़कर पलायन कर जाए तो समझ लो की भूकंप आने वाला है। मेंढकों के समान या उनकी ही एक प्रजाति भेक को भूकंप से पहले आश्चर्यजनक रूप से पूरे समूह के साथ गायब होते पाया गया है। जहां भी भूकंप आया, वहां लगभग 3 दिन पहले से सारे भेक जादुई तरीके से गायब हो गए।
 
* पशु, पक्षियों और रेंगने वाले जंतुओं को कई दिन पहले ही भूस्खलन, भूकंप आने या ज्वालामुखी के फूटने का पता चलता जाता है। वह ऐसा स्थान छोड़कर पहले ही चले जाते हैं। मानव इनके विचित्र व्यवहार को समझ नहीं पाता है। यदि मानव इन्हें समझ ले तो वह भी प्राकृतिक आपदाओं से बच सकता है।
 
* भूकंप आने से कुछ मिनट पहले राजहंस पक्षी एक समूह में जमा होते देखे गए हैं, तो बतखें डर के मारे पानी में उतरती पाई गई हैं। इतना ही नहीं, मोरों को झुंड बनाकर बेतहाशा चीखते हुए पाया गया है। विश्व में जहां भी जानवरों में इस तरह के बदलाव देखे गए हैं, वहां इसके कुछ मिनट बाद ही बड़ी भयंकर तीव्रता का भूकंप दर्ज किया गया है। कुछ पक्षियों का व्यवहार विचित्र होते हुए देखा गया है। जैसे वे बार बार वृक्ष पर बैठकर पुन: भूमि पर बैठ जाते हैं। उन्हें समझ में नहीं आता है कि हम कहां सुरक्षित रहेंगे।
 
* अमेरिका के पश्चिमी द्वीप समूह में माउंट पीरो नामक पर्वत है। इस पर्वत से एक दिन अचानक ज्वालामुखी फूट पड़ा। चारों तरफ दहकते अंगारे फैलने लगे, पर्वत के टुकड़े-टुकड़े हो गए। माना जाता है कि इस प्राकृतिक आपदा में लगभग तीस हजार लोग काल के गाल में समा गए। जो लोग इस घटना के बाद जीवित रह गए उनका कहना था कि यहां के पशु-पक्षी काफी दिनों से रात में खूब रोते थे। पशु-पक्षियों ने यहां से अपना बसेरा बदल लिया था। अमेरिका में तो इस तरह की कहावतें कही जाती हैं कि मौसम की सबसे सटीक भविष्यवाणी मौसम विभाग नहीं हेजहॉग करता है।
 
* मछलियां भी समुद्र में सुनामी या भूकंप के आने का पहले ही पता चल जाता है। वे भूकंप की तरंगों को बड़ी तीव्रता से पकड़ती हैं और वह उसके केंद्र से पहले ही बहुत दूर निकल जाती है। माना जाता है कि समुद्र की गहराई में रहने वाली ओरफिश भूकंप को महसूस करने में सबसे तेज होती है। रिबन की तरह दिखने वाली, लगभग 5 मीटर लंबी, डरावने मुंह वाली यह मछली आमतौर पर समुद्र के किनारों पर नहीं आती, पर भूकंप के समय इसे तटों पर पाया गया है। वैज्ञानिकों ने पाया है कि इनके किनारों पर पाए जाने के बाद जो भूकंप आया, उसकी तीव्रता 7.5 से अधिक रही है।
 
*प्रथम प्रहर में कौए की आवाज सुनाई दे तो अतिथि आ सकता है।
*दूसरे पहर में व्यापार में लाभ हो सकता है।
*प्रथम प्रहर में दक्षिण दिशा में कौए की आवाज सुनाई देना अर्थ लाभ कराता है।
*मध्यान्ह में सुनाई दे तो पद की प्राप्ति होती है।
*लेकिन तीसरे और चौथे प्रहर की आवाज का मतलब यह कि खराब संदेश प्राप्त होगा।
*किसी नगर या ग्राम में कौओं का झुंड इक्ट्ठा हो तो विवाद का कारण बनता है।
*यदि किसी कौए का झुंड उच्च स्वर में शोर मचाए तो उस स्थान पर कोई संकट हो सकता है।
*घर पर बहुत सारे कौओं का बैठना मृत्यु तुल्य कष्ट देता है।
*चलते हुए सिर पर कौओं का स्पर्श करना भी स्वास्थ्य और आयु के लिए अच्छा नहीं होता।
*रात में कौवे बोले, दिन में गीदड़ बोले तो अवश्य ही कोई बड़ा उपद्रव होगा।
* कुत्ते खून के नमूनों को सूंघते ही बता सकते हैं कि फेफड़ों का कैंसर है या नहीं। कुत्तों का दावा करीब 97 फीसदी सच होता है। अमेरिकी शहर ऑरलैंडो में अमेरिकन सोसाइटी फॉर बायोकेमिस्ट्री एंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी की वार्षिक मीटिंग में यह शोध पेश किया गया था।
* शोधानुसार कुत्ते इंफ्रारेड सेंसर के जरिए तापमान में बदलाव का पता लगा सकते हैं, जैसा कि तब होता है, जब अन्य जानवर कुत्तों के आस-पास होते हैं। यह 'इंफ्रारेड सेंसर' कुत्तों की नाक के छोर पर होता है।
 
*उल्लू का रोना भी किसी गंभीर संकट की सूचना होती है।
*यदि उल्लू की आवाज रात्रि के प्रथम प्रहर, द्वितिय और चतुर्थ प्रहर में सुनाई दे तो इच्छा के पूर्ण होने के संकेते हैं। इससे अर्थ लाभ, व्यापार में लाभ और राजदरबार आदि में लाभ मिलेगा।
*लेकिन एक ही दिशा में उल्लू का बार-बार आवाज देना, उसका दिखना, ज्यादा कल्याणकारी नहीं है। यह संकट की सूचना है या इसे आपकी सेहत खराब होने की सूचना भी माना जा सकता है।
*अगर उल्लू बार बार उच्च स्वार में बोले तो आर्थिक हानि का संकेत है।
*अगर रात में आप यात्रा के लिए निकल रहे हैं और उल्लू प्रसन्नता पूर्वक मध्यम स्वर में बोले तो यह शुभ संकेत है।
*दरअसल कुत्ता एक ऐसा प्राणी है, जो भविष्‍य में होने वाली घटनाओं और ईथर माध्यम (सूक्ष्म जगत) की आत्माओं को देखने की क्षमता रखता है। कुत्ता कई किलोमीटर तक की गंध सूंघ सकता है।
* कुत्ते के भौंकने और रोने को अपशकुन माना जाता है। कुत्ते के भौंकने के कई कारण होते हैं उसी तरह उसके रोने के भी कई कारण होते हैं, लेकिन अधिकतर लोग भौंकने या रोने का कारण नकारात्मक ही लेते हैं।
* अपशकुन शास्त्र के अनुसार श्वान का गृह के चारों ओर घूमते हुए क्रंदन करना अपशकुन या अद्‍भुत घटना कहा गया है और इसे इन्द्र से संबंधित भय माना गया है।
* सूत्र-ग्रंथों में भी श्वान को अपवित्र माना गया है। इसके स्पर्श व दृष्टि से भोजन अपवित्र हो जाता है। इस धारणा का कारण भी श्वान का यम से संबंधित होना है।
* शुभ कार्य के समय यदि कुत्ता मार्ग रोकता है तो विषमता तथा अनिश्चय प्रकट होते हैं।
* कुत्ते को प्रतिदिन भोजन देने से जहां दुश्मनों का भय मिट जाता है वहीं व्यक्ति निडर हो जाता है।
* कुत्ता घर के रोगी सदस्य की बीमारी अपने ऊपर ले लेता है।
* यदि संतान की प्राप्ति नहीं हो रही हो तो काले कुत्ते को पालने से संतान की प्राप्ति होती है।
* ज्योतिषी के अनुसार केतु का प्रतीक है कुत्ता। कुत्ता पालने या कुत्ते की सेवा करने से केतु का अशुभ प्रभाव समाप्त हो जाता है। पितृ पक्ष में कुत्तों को मीठी रोटी खिलानी चाहिए।
* शकुन शास्त्र में माना जाता है अगर रात के समय कोई कुत्ता रोता है या कुत्ते के रोने की आवाज आती है तो समझ लें कि जल्द ही किसी की मृत्यु होने वाली है।
* कुत्ते इस बात को बहुत पहले जान लेते हैं कि भविष्य में फलां बच्चे में मिरगी की बीमारी होगी।
* कुत्ते सूंघकर बम का भी पता लगा लेते हैं।
* भूकंप या समुद्री तूफान से पहले कुत्तों का दौड़ लगाना या जोर-जोर से भौंकना आने वाले संकट की सूचना होती है।
 
* गाय का कोई अपशकुन नहीं होता। जिस भू-भाग पर मकान बनाना हो, वहां 15 दिन तक गाय-बछड़ा बांधने से वह जगह पवित्र हो जाती है। भू-भाग से बहुत-सी आसुरी शक्तियों का नाश हो जाता है।
* गाय में सकारात्मक ऊर्जा का भंडार होता है। गाय का मार्ग रोकना शुभ कहा गया है। गाय-बछड़े के एकसाथ दर्शन सफलता का प्रतीक है।
* घर के आसपास गाय होने का मतलब है कि आप सभी तरह के संकटों से दूर रहकर सुख और समृद्धिपूर्वक जीवन जी रहे हैं।
* गाय के समीप जाने से ही संक्रामक रोग कफ, सर्दी-खांसी व जुकाम का नाश हो जाता है।
* अचानक गाय का पूंछ मार देना भी शुभ है। काली चितकबरी गाय का ऐसा करना तो और भी शुभ कहा गया है।
 
* लाल चींटियों की कतार मुंह में अंडे दबाए निकलते देखना शुभ है। सारा दिन शुभ और सुखद बना रहता है।
* जो चींटी को आटा देते हैं और छोटी-छोटी चिड़ियों को चावल देते हैं, वे वैकुंठ जाते हैं।
* कर्ज से परेशान लोग चींटियों को शकर और आटा डालें। ऐसा करने पर कर्ज की समाप्ति जल्दी हो जाती है।
* वैज्ञानिकों ने पाया है कि चींटी भूकंप की तीव्रता मापने वाले रिक्टर पैमाने पर 2.0 तक के झटके को महसूस कर लेती है, जिसका मनुष्य को कभी भान तक नहीं होता। चींटियों पर 3 साल तक हुए अध्ययन से पता चला है कि भूकंप की हलचल का भान होते ही चींटियां अपना घर छोड़ देती हैं। आमतौर पर चींटियां दिन में घर बदलती हैं, पर भूकंप का पता चलते ही वो किसी भी समय अपने घर से निकल पड़ती हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि उनका घर ढहने वाला है। ऐसा माना जा रहा है कि चींटियों में कार्बन डाइ ऑक्साइड का स्तर और पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र को समझने का ज्ञान होता है।
 
* अगर रात के समय बिल्ली चिल्लाने लगे तो यह माना जाता है कि उस जगह पर कोई बुरी आत्मा का साया है। * जिस घर में बिल्ली रात को चिल्लाती है तो शकुन शास्त्र के अनुसार माना जाता है कि उस घर के सदस्यों पर कई तरह की परेशानियां आने वाली है।
* कुछ वर्ष पूर्व ब्रिटेन में ऑस्कर नाम की एक बिल्ली ने एक पूरे नर्सिंग होम की नींद उड़ा दी थी, क्योंकि यह बिल्ली जिस मरीज के बिस्तर के पास बैठी मिलती थी, समझो उसे ईश्वर का बुलावा आने वाला है। बाद में इस अस्पताल के डॉक्टर ने रीडर्स डाइजेस्ट में बिल्ली की भविष्यवाणी के कारण ढूंढते हुए एक लेख लिखा था। इसमें उन्होंने बताया ‍‍कि मरने से पहले व्यक्ति के शरीर के आसपास एक खास किस्म की रासायनिक गंध आने लगती है और शायद यह बिल्ली उसी को सूंघ लेती थी।