5 January 2022 Panchak: हिन्दू पंचांग अनुसार प्रत्येक माह में पांच ऐसे दिन आते हैं जिसमें कोई भी शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं। ऐसी भी मान्यता या धारणा है कि इन दिनों में मरने वाले व्यक्ति परिवार के अन्य पांच लोगों को भी साथ ले जाते हैं। इस नए वर्ष का प्रथम पंचक 5 जनवरी 2022 से प्रारंभ हो रहा है जो 10 जनवरी तक रहेगा। वार और नक्षत्र युक्त पंचक का भिन्न भिन्न प्रभाव रहता है।
इस पंचक की खास बातें:
- 5 जनवरी 2022 बुधवार को पंचक काल 07:54:08 बजे प्रारंभ होगा जो 10 जनवरी प्रात: 08:50:10 बजे तक रहेगा। स्थानीय पंचांगभेद होने से समय में थोड़ा बहुत परिवर्तन हो सकता है।
- यह पंचक बुधवार से प्रारंभ हो रहा है अत: इस पंचक में पंचक का भय नहीं माना जाएगा। जैसे चोरी, मृत्यु, रोग आदि।
- कुछ पंचांगों के अनुसार 5 जनवरी को प्रात: 08:46 बजे तक श्रवण नक्षत्र रहेगा इसके बाद प्रात: 07:11 तक धनिष्ठा नक्षत्र रहेगा और फिर इसके बाद शतभिषा नक्षत्र प्रारंभ हो जाएगा। मतलब यह कि पंचक धनिष्ठा नक्षत्र में प्रारंभ होगा। धनिष्ठा नक्षत्र में अग्नि का भय रहता है।
पंचक के नक्षत्रों का प्रभाव:-
1. धनिष्ठा नक्षत्र में अग्नि का भय रहता है।
2. शतभिषा नक्षत्र में कलह होने की संभावना रहती है।
3. पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में रोग बढ़ने की संभावना रहती है।
4. उतरा भाद्रपद में धन के रूप में दंड होता है।
5. रेवती नक्षत्र में धन हानि की संभावना रहती है।
पंचक के वारों का प्रभाव:-
1.रविवार को पड़ने वाला पंचक रोग पंचक कहलाता है।
2.सोमवार को पड़ने वाला पंचक राज पंचक कहलाता है।
3.मंगलवार को पड़ने वाला पंचक अग्नि पंचक कहलाता है।
4.शुक्रवार को पड़ने वाला पंचक चोर पंचक कहलाता है।
5.शनिवार को पड़ने वाला पंचक मृत्यु पंचक कहलाता है।
6.इसके अलावा बुधवार और गुरुवार को पड़ने वाले पंचक में ऊपर दी गई बातों का पालन करना जरूरी नहीं माना गया है। इन दो दिनों में पड़ने वाले दिनों में पंचक के पांच कामों के अलावा किसी भी तरह के शुभ काम किए जा सकते हैं।
'अग्नि-चौरभयं रोगो राजपीडा धनक्षतिः।
संग्रहे तृण-काष्ठानां कृते वस्वादि-पंचके।।'-मुहूर्त-चिंतामणि
अर्थात:- पंचक में तिनकों और काष्ठों के संग्रह से अग्निभय, चोरभय, रोगभय, राजभय एवं धनहानि संभव है।
पंचक में नहीं करते हैं ये पांच कार्य :
1.लकड़ी एकत्र करना या खरीदना,
2. मकान पर छत डलवाना,
3. शव जलाना,
4. पलंग या चारपाई बनवाना और दक्षिण दिशा की ओर यात्रा करना।
5. शव दाह करना।
उपाय : यदि लकड़ी खरीदना अनिवार्य हो तो पंचक काल समाप्त होने पर गायत्री माता के नाम का हवन कराएं। यदि मकान पर छत डलवाना अनिवार्य हो तो मजदूरों को मिठाई खिलने के पश्चात ही छत डलवाने का कार्य करें। यदि पंचक काल में शव दाह करना अनिवार्य हो तो शव दाह करते समय पांच अलग पुतले बनाकर उन्हें भी आवश्य जलाएं। इसी तरह यदि पंचक काल में पलंग या चारपाई लाना जरूरी हो तो पंचक काल की समाप्ति के पश्चात ही इस पलंग या चारपाई का प्रयोग करें। अंत में यह कि यदि पंचक काल में दक्षिण दिशा की यात्रा करना अनिवार्य हो तो हनुमान मंदिर में फल चढ़ाकर यात्रा प्रारंभ कर सकते हैं। ऐसा करने से पंचक दोष दूर हो जाता है।
नोट: बुधवार और गुरुवार को पड़ने वाले पंचक में ऊपर दी गई बातों का पालन करना जरूरी नहीं माना गया है। इन दो दिनों में पड़ने वाले दिनों में पंचक के पांच कामों के अलावा किसी भी तरह के शुभ काम किए जा सकते हैं। इसमें विवाह, सागाई जैसे कार्य भी किए जा सकते हैं।