* कुंआरों को करना होगा इंतजार, 3 जुलाई के बाद नहीं होंगे विवाह...
* भडल्या नवमी विशेष : विवाह बंधन में बंधने का अबूझ मुहूर्त...
उत्तर भारत में आषाढ़ शुक्ल नवमी तिथि का बहुत महत्व है। वहां इस तिथि को विवाह बंधन के लिए अबूझ मुहूर्त का दिन माना जाता है।
आषाढ़ शुक्ल नवमी को भड़ली (भडल्या) नवमी मनाई जाती है। वर्ष 2017 में यह नवमी 2 जुलाई, रविवार को मनाई जाएगी। नवमी का दिन होने से गुप्त नवरात्रि का समापन भी इस दिन होता है। भारत के दूसरे हिस्सों में इसे दूसरों रूपों में मनाया जाता है।
हमारे पौराणिक शास्त्रों के अनुसार भड़ली नवमी का दिन भी अक्षय तृतीया के समान ही महत्व रखता है, अत: इसे अबूझ मुहूर्त मानते हैं तथा यह दिन शादी-विवाह को लेकर खास मायने रखता है। इस दिन बिना कोई मुहूर्त देखे विवाह की विधि संपन्न की जा सकती है।
इस संबंध में यह मान्यता है कि जिन लोगों के विवाह के लिए कोई मुहूर्त नहीं निकलता, उनका विवाह इस दिन किया जाए तो उनका वैवाहिक जीवन हर तरह से संपन्न रहता है, उनके जीवन में किसी प्रकार का व्यवधान नहीं होता।
जुलाई माह में 1, 2, 3 जुलाई को ही विवाह के मुहूर्त रहेंगे, क्योंकि 4 जुलाई को देवशयनी एकादशी होने के कारण आगामी 4 माह तक शादी-विवाह संपन्न नहीं किए जा सकेंगे। ऐसे में 4 माह तक शुभ कार्य वर्जित रहेंगे। इस अवधि में सिर्फ धार्मिक कार्यक्रम कर सकेंगे। इन चार माह में भगवान श्रीहरि विष्णु का पूजन-अर्चन किया जाएगा।
31 अक्टूबर देवउठनी एकादशी से ही विवाह के लिए मंगलमयी समय शुरू होने से लग्न कार्य, खरीदारी तथा अन्य शुभ कार्य किए जाएंगे। तत्पश्चात वर्ष 2017 में नवंबर और दिसंबर माह में ही विवाह के मुहूर्त मिलेंगे।
आगामी विवाह मुहूर्त इस प्रकार रहेंगे -
31 अक्टूबर : देवउठनी एकादशी
19 से 23 तथा 27 से 30 नवंबर तक।
3, 5 और 10 दिसंबर को ही शुभ विवाह संपन्न हो सकेंगे।