मेष लग्न वालों का व्यापार कब-कब
मेष लग्न में दशम भाव व सप्तम भाव व्यापार का प्रतिनिधित्व करते हैं। इन दो भावों के स्वामियों पर या इन पर पड़ने वाली दृष्टि व्यापार में लाभ व उन्नतिदायक समय लाती है।व्यापार में गोचर ग्रहों का विशेष महत्व होता है। यही उतार-चढ़ाव की स्थिति को पैदा करते हैं। दशम भाव का स्वामी मेष लग्न में शनि होता है एवं सप्तम भाव का स्वामी शुक्र होता है। इन्हीं ग्रहों का व्यापार पर प्रभाव पड़ता है।गोचर में शनि का भ्रमण योगकारी कब होगा, आइए इसे जानते हैं। शनि जब धनु राशि पर होगा, तब वह नवम भाग्य भाव से होगा, वहाँ से शनि की तृतीय दृष्टि एकादश भाव पर पड़ेगी, अतः ऐसे जातक का व्यापार में या सर्विस में लाभकारी समय होगा और धन लाभ दिलाएगा। व्यापार में उन्नतिकारक बनेगा। जब शनि मकर राशि में गोचर में आएगा, तब भी धन लाभ, व्यापार लाभ कराएगा। पिता से, राज्यकृपा से भी धन व्यापार लाभ मिलेगा। शनि जब-जब वृषभ राशि पर होगा, तब भी व्यापार लाभ पाएगा। शनि की दृष्टि दशम एकादश भाव पर पड़ने से लाभजनक वातावरण रहेगा। शनि जब धनु राशि पर होगा, तब वह नवम भाग्य भाव से होगा, वहाँ से शनि की तृतीय दृष्टि एकादश भाव पर पड़ेगी, अतः ऐसे जातक का व्यापार में या सर्विस में लाभकारी समय होगा और धन लाभ दिलाएगा। |
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शनि का भ्रमण कर्क राशि पर आने से भी मेष लग्न वालों को व्यापार में उन्नति के अवसर आएँगे। शनि की सप्तम दृष्टि मकर पर पड़ने से यह व्यापार में उन्नति कराएगा। मंगल लग्नेश है। अतः ऐसा जातक स्वयं के बल पर भी लाभ पाता है। अतः मंगल जब मिथुन में होगा तो उसकी अष्टम दृष्टि दशम भाव पर उच्च पड़ने से व्यापार में उन्नतिदायक समय रहेगा।मंगल का मकर राशि में होना भी व्यापार में उन्नति का कारण बनता है। शुक्र मेष लग्न में द्वितीय भाव व सप्तम भाव का स्वामी होगा, यह भी दैनिक व्यवसाय में लाभजनक स्थिति बनाता है। जब-जब गुरु की स्थिति मकर राशि में होगी, तब-तब व्यापार में उन्नति होकर लाभदायक स्थिति बनेगी। शुक्र की स्थिति जब-जब तुला में होगी, तब-तब पत्नी से, साझेदारी से व दैनिक व्यवसाय में उन्नति के योग बनेंगे।शुक्र जब-जब मेष राशि में होगा, तब उसकी सप्तम दृष्टि अपनी राशि तुला पर पड़ने से दैनिक व्यवसाय में लाभ होगा। इस प्रकार चंद्रमा मकर राशि में आएगा, तब-तब भी जनता से संबंधित व्यापार में सफलता मिलेगी। यदि जन्म कुंडली में भी उपरोक्त अनुसार ग्रह हो तो सोने पे सुहागा वाली स्थिति रहेगी। इस प्रकार जब हम यह जान जाएँगे कि व्यापार में लाभ कब-कब मिलेगा, तभी हम इन अवसरों का लाभ उठाने में सक्षम बन सकेंगे।