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Written By Author पं. अशोक पँवार 'मयंक'

नागपंचमी पर दूर करें कालसर्प योग

भद्रा समाप्ति के बाद करें नाग पूजन

कालसर्प दोष निवारण
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प्रतिवर्ष नागपंचमी को सर्प का पूजन किया जाता है। कई जगह नाग बीम के स्थान पर जाकर भी पूजन करते है।

इस बार नाग पंचमी सोमवार को भद्रा विष्टिकरण योग में लग रही है। इस दिन उज्जैन के सिद्धवट या त्र्यंबकेश्वर में जाकर कालसर्प दोष का विधिपूर्वक पूजन किया जाए, तो अशुभ योग कालसर्प दोष का शमन होकर शुभ फल की प्राप्ति होती है।

इस वर्ष शुक्ल पक्ष श्रावण सोमवार होने से नागपंचमी का विशेष महत्व बढ़ गया है। साक्षात्‌ भगवान आशुतोष देवाधिदेव महादेव ने ही सर्पों को धारण कर रखा है।

इस दिन घरों में तवे पर रोटी नहीं बनाई जाती है, कहते है कि तवा नाग के फन का प्रतिरूप होने से हिन्दू धर्म में तवे को अग्नि पर रखना वर्जित है। इस दिन दाल-बाटी-चूरमे के लड्डू बना कर नाग देवता का पूजन किया जाता है।

ध्यान रहे कि नाग पूजन करते वक्त नाग को दूध नहीं पिलाना चाहिए, क्योंकि नाग कभी भी तरल पदार्थ सेवन नहीं करता यदि भुलवश चला भी जाए तो वह उसके लिए प्राणघातक होता है। जिस प्रकार हमारे फेफड़ों में पानी या कोई भी वस्तु चली जाए तो हमारे प्राण संकट में पड़ जाते है, ठीक उसी प्रकार नाग पर भी प्रभाव होता है।

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इसके लिए हमें अपने घर में ही शुद्ध घी से दीवार पर नाग बनाना चाहिए एवं फिर उनका विधि-विधान से पूजना करना चाहिए। इस प्रकार करने से नाग देवता प्रसन्न होने के साथ-साथ शुभ प्रभाव देते हैं व नाग दंश का भय भी नहीं रहता हैं।

नागपंचमी पर अधिकांश परिवार वाले काले रंग या कोयले से नाग बनाते है एवं फिर पूजन करते है, लेकिन काला अशुभ होता है। अतः घी के ही नाग बनाकर पूजन करना चाहिए।

कालसर्प योग वाले व्यक्ति इस दिन विधि-विधान से उज्जैन सिद्धवट पर या फिर त्र्यंबकेश्वर जाकर पूजन करवाने से अशुभ प्रभाव खत्म होकर शुभ प्रभाव में वृद्धि होती है।

हां, एक बात का अवश्य ध्यान रखें की कभी भी नाग आकृति वाली अंगूठी कदापि ना पहनें व जिसे भी इस प्रकार का दोष है वे गोमेद भी ना धारण करें।

23 जुलाई के दिन भद्रा की समाप्ति समय 8 बजकर 13 मिनट 33 सेकंड पर हो रहा है। इसके बाद ही नाग पूजन कर कालसर्प दोष की शांति कराएं। इस दिन भी कालसर्प योग ही चल रहा है। इस समय जो भी बालक जन्म लेगा वो इस दोष से पीड़ित होगा।

इस समयावधि में दो शुभ योग बनने पर भी आज जन्म लिए बालक पर शुभ प्रभाव नहीं डालेंगे। पहला शुभ योग- चंद्र से गुरु का केन्द्रस्थ होने पर बनने वाला गजकेसरी योग व शुक्र का केन्द्रस्थ स्वराशि वृषभ पर होने से मालव्य योग बनता है। लेकिन इस दिन कालसर्प दोष व अशुभ योग शनि-मंगल की युति भी है।