वर्ष 2025 में वृश्चिक राशि पर से शनि की ढैय्या होने वाली है समाप्त, फिर भी क्यों रहना होगा सतर्क?
Vrishchik rashi shani dhaiya 2025: 17 जनवरी 2023 को कुंभ राशि में शनि के प्रवेश करते ही कर्क और वृश्चिक राशि वालों पर शनि की ढैया शुरू हो गई थी। 29 मार्च 2025 को शनि का कुंभ से निकलकर मीन राशि में गोचर होगा। शनि के इस गोचर से कर्क और वृश्चिक राशि वालों पर से शनि की ढैया समाप्त हो जाएगी। शनि की ढैय्या समाप्त होने के बाद भी इस राशि के जातकों को अभी सतर्क रहना होगा। शनि का गोचर मार्च में पंचम भाव में होगा। वर्ष की शुरुआत में बृहस्पति सप्तम भाव में रहेंगे, इसके बाद साल के मध्य में अष्टम भाव में गोचर करेंगे। इसलिए सतर्क रहने की जरुरत है।
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वर्तमान में आपकी कुंडली के चतुर्थ भाव में शनि का गोचर चल रहा है जो कि 29 मार्च तक रहेगा। यानी 29 मार्च तक तो ढैय्या का प्रभाव रहेगा। फिर शनि का पंचम भाव में गोचर होगा। यहां से शनिदेव आपकी कुंडली के सप्तम भाव, एकादश भाव और द्वितीय भाव को देखेंगे। यह गोचर मिलेजुले परिणाम दे सकता है। घर परिवार, संतान और वैवाहिक जीवन के लिए तो यह साल अच्छा है परंतु नौकरी और व्यपार में आपको सतर्कता से काम करना पड़ेगा। खासकर नौकरी पर खतरा मंडरा रहा है। वर्ष 2025 में आप जुलाई से नवंबर के बीच तो भूलकर भी नौकरी छो़ड़ने का विचार तब तक न करें जब तक की आपको कोई अच्छी नौकरी नहीं मिल जाती। नौकरी के लिए जुलाई से पूर्व और नवंबर के बाद का समय अच्छा है। कारोबारी हैं तो कड़ी मेहनत से ही सफलता मिलेगी या रणनीति बदलकर व्यापार करना होगा। यर बाजार में निवेश करने से आपको लाभ मिल सकता है। आप धन संचय करने की प्रवृत्ति के लिए जितना ज्यादा प्रयास करेंगे, उतना ही आपको आर्थिक सफलता मिल पाएगी। संतान को लेकर कुछ चिंताएं रहेंगी लेकिन आपकी संतान तरक्की करेगी।
29 मार्च तक शनि की ढैय्या से रहें सतर्क:-
शनि की ढैय्या से बचने के उपाय ( Shani ki dhaiya se bachne ke upay ) :
- शनिवार के दिन 8 बार श्री हनुमान चालीसा का पाठ करें।
- कम से कम 11 शनिवार को शनि मंदिर में छाया दान करें।
- साफाईकर्मी, दिव्यांग, धंधे, मजदूर और विधवाओं को कुछ न कुछ दान देते रहें।
- कुत्ते, कौवे या गाय को रोटी खिलाते रहें।
- मंगलवार के दिन हनुमान मंदिर में गुड़, चना, लाल मसूर की दाल और लाल कपड़ा अर्पित करें।
- गुरुवार का उपवास करें और कच्चे सूत को हल्दी से रंग कर पीपल के वृक्ष के तने के चारों ओर आठ बार बांधें।