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Written By ND

मैराथन से बढ़ता खेल कल्चर

मैराथन से बढ़ता खेल कल्चर -
-नवीन शर्म
एथलेटिक्स अगर सब खेलों की जननी है तो मैराथन उसका महत्वपूर्ण अंग। भारत में भी अब मैराथन को खासा बढ़ावा मिल रहा है, जिसके चलते खेल कल्चर भी खासा विकसित हो रहा है। यूँ तो भारत में क्रिकेट की दीवानगी है जहाँ एक मैच के लिए स्टेडियम में हजारों दर्शक जुटते हैं। मैराथन में हजारों की संख्या दर्शकों से खिलाड़ियों में बदल जाती है। यह वह स्पर्धा है जो आपको खिलाड़ी के रूप में जुड़ने का ज्यादा खुला आमंत्रण देती है।

कोई भी एक गेम में सर्वाधिक भागीदारी की बात करें तो मैराथन सबसे आगे खड़ी नजर आती है। जहां भाग लेने वालों की संख्या पच्चीस-तीस हजार से भी ऊपर निकल जाती है। जब दर्शक खुद खिलाड़ी बन जाए तो उत्साह भी ज्यादा जोश मारने लगता है। भारत में होने वाली मैराथनों में यह उत्साह झलकने लगा है। केवल दौड़ने वाले ही नहीं मैराथन रूट पर दोनों ओर खड़े दर्शकों का धावकों का उत्साहवर्द्घन करना भी खेल कल्चर के लिए अच्छा संकेत है।

खेल के अलावा विभिन्न क्षेत्रों की सेलेब्रेटी के जुड़ने ने इसके ग्लैमर को और बढ़ाया है। लाखों की इनामी राशि वाली मैराथनों में सभी पुरस्कार राशि के लिए ही नहीं दौड़ते फिटनेस के नाम पर भी हजारों लोग इसमें शरीक होकर गौरवान्वित और उम्र को झुठलाने की कोशिश करते नजर आ सकते हैं।

आज देश में आधा दर्जन से ज्यादा मैराथन हैं केवल दिल्ली में ही बात करें तो पिछले बीस सालों से यहां मैराथन का आयोजन हो रहा है। पिछले चार सालों से अंतरराष्ट्रीय स्तर की विश्व हाफ मैराथन के जुड़ने से आकर्षण और भी बढ़ गया है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नामी एथलीट इसमें हिस्सा ले रहे हैं।

अगर भारतीय खिलाड़ियों के प्रदर्शन की बात करें तो विदेशी एथलीटों से भारतीय खिलाड़ियों ने अपना फासला घटाया है। व्यक्तिगत प्रदर्शन तो खैर सुधरा ही है। दिल्ली विश्व हाफ मैराथन में पिछले साल के विजेता इथोपिया के डिसी डियूडोनी ने 1:00.43 मिनट का समय लिया और भारत के रामसिंह यादव ने 1:06.09 का समय लिया।

इस बार इथोपिया के डेरिबा मर्गा ने 59.15 का समय लिया तो भारत के संदीप कुमार ने 1:04.48 का प्रदर्शन किया। पिछले दो सालों में भारतीय महिलाओं में अव्वल रहीं कविता राउत ने 2007 में 1:18.34 का प्रदर्शन किया तो इस बार 1:17.12 का समय लिया।

पूर्व मैराथन धाविका आशा अग्रवाल मानती हैं मैराथन में आम लोगों की बढ़ती भागीदारी एक सुखद अहसास देती है। दिल्ली में 2010 में होने वाले राष्ट्रमंडल खेलों में भी मैराथन को शामिल किया गया है। दिल्ली में 28 दिसंबर को होने वाली इंडियन ओपन मैराथन में वहीं रूट रखा गया है जो राष्ट्रमंडल खेलों की स्पर्धा का है।