तुम्हें फिर भी याद नहीं करती
जुलाई के रिमझिम बरसते दिन मेरी यादों में तुम्हारे भीगे चेहरे को रेखांकित कर जाते हैंऔर मैं तुम्हें फिर भी याद नहीं करती क्योंकि मुझे याद है तुम्हारे व्यवहार का रुखापनजिसे अनगिनत बरसातें भी भिगो नहीं सकती तुम्हारे मरुस्थली हृदय कोऔर कितनी बरसातें चाहिएयह मैं तो क्यास्वयं तुम भी नहीं जानते-
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