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Written By WD

मौनी अमावस्या

माघ माह की अमावस्या

मौनी अमावस्या -
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माघ माह की अमावस्या को मौनी अमावस्या कहते हैं। इस अमावस्या को मौनी अमावस्या का व्रत रखा जाता है। इस दिन मौन रहकर गंगा स्नान करना चाहिए।

यदि यह अमावस्या सोमवार के दिन हो तो इसका महत्व और अधिक बढ़ जाता है, और यदि अवसर महाकुंभ का हो तो फिर महत्व कई गुना बढ़ जाता है। पूरे माघ मास को स्नान मास की संज्ञा दी जा सकती है और इनमें सबसे अधिक महत्वपूर्ण स्नान पर्व अमावस्या का होता है।

वैसे माघ मास की अमावस्या तथा पूर्णिमा दोनों ही तिथियाँ स्नान की दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं। इन दिनों पृथ्वी के किसी न किसी कोने में सूर्य या चंद्र ग्रहण अवश्य होता है।
  माघ माह की अमावस्या को मौनी अमावस्या कहते हैं। इस अमावस्या को मौनी अमावस्या का व्रत रखा जाता है। इस दिन मौन रहकर गंगा स्नान करना चाहिए। यदि यह अमावस्या सोमवार के दिन हो तो इसका महत्व और अधिक बढ़ जाता है।      


इसी विचार से धर्मज्ञ मनुष्य अमावस्या तथा पूर्णिमा को स्नान-दानादि पुण्य कर्म करते हैं। अनेक लोग तो समूचे माघ माह में प्रयाग में संगम के तट पर कुटिया बनाकर रहते हैं तथा नित्य त्रिवेणी स्नान करते हैं।

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मौनी अमावस्या के दिन स्नान करने के पश्चात्‌ भगवान विष्णु की पूजा की जाती है, उसके बाद पीपल के वृक्ष की 108 परिक्रमा की जाती हैं।

इस व्रत का प्रमुख संदेश है मीठे वचन बोलना, अभिमान न करना और छोटे-बड़े का भेद भुलाकर सबकी सेवा करना। 'मौन' का यहाँ तात्पर्य है कि बिना दिखावे के सेवा करना, कुवाणी बोलने से बचना तथा सच्चे मन से प्रभु आराधना में लीन रहना।