कैसे करें वट सावित्री व्रत...
वट सावित्री व्रत विधि
भारतीय धर्म में वट सावित्री अमावस्या स्त्रियों का महत्वपूर्ण पर्व है। मूलतः यह व्रत-पूजन सौभाग्यवती स्त्रियों का है। फिर भी सभी प्रकार की स्त्रियां (कुमारी, विवाहिता, विधवा, कुपुत्रा, सुपुत्रा आदि) इसे करती हैं।इस व्रत को करने का विधान ज्येष्ठ शुक्ल त्रयोदशी से पूर्णिमा तथा अमावस्या तक है। आजकल अमावस्या को ही इस व्रत का नियोजन होता है। इस दिन वट (बड़, बरगद) का पूजन होता है। इस व्रत को स्त्रियां अखंड सौभाग्यवती रहने की मंगलकामना से करती हैं।
वट सावित्री व्रत विधि
वट सावित्री व्रत विधि :- * प्रातःकाल घर की सफाई कर नित्य कर्म से निवृत्त होकर स्नान करें।* तत्पश्चात पवित्र जल का पूरे घर में छिड़काव करें।* इसके बाद बांस की टोकरी में सप्त धान्य भरकर ब्रह्मा की मूर्ति की स्थापना करें।* ब्रह्मा के वाम पार्श्व में सावित्री की मूर्ति स्थापित करें।* इसी प्रकार दूसरी टोकरी में सत्यवान तथा सावित्री की मूर्तियों की स्थापना करें। इन टोकरियों को वट वृक्ष के नीचे ले जाकर रखें।* इसके बाद ब्रह्मा तथा सावित्री का पूजन करें।अब निम्न श्लोक से सावित्री को अर्घ्य दें : -अवैधव्यं च सौभाग्यं देहि त्वं मम सुव्रते।पुत्रान् पौत्रांश्च सौख्यं च गृहाणार्घ्यं नमोऽस्तु ते॥* तत्पश्चात सावित्री तथा सत्यवान की पूजा करके बड़ की जड़ में पानी दें।इसके बाद निम्न श्लोक से वटवृक्ष की प्रार्थना करें -