Last Modified: कानपुर (वार्ता) ,
सोमवार, 25 जून 2007 (16:41 IST)
स्वतंत्रता संग्राम का यह कैसा जश्न!
एक ओर जहाँ देश में प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की 150वीं वर्षगाँठ का जश्न मनाया जा रहा है, वहीं अपनी बदहाली से परेशान इस आंदोलन के महानायक तात्या टोपे के वंशज महज दो सौ रुपए का अनुकम्पा भत्ता फिर से चालू किए जाने के लिए दर-दर गुहार कर रहे हैं।
वर्ष 1857 में हुए देश के प्रथम स्वतंत्रता आन्दोलन के अगुआ तात्या टोपे के पौत्र विनायक राव टोपे ने कानपुर में कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता बद्री नारायण तिवारी को लिखे पत्र में उनके परिवार को मिलने वाले 200 रुपए प्रतिमाह अनुकम्पा भत्ता फिर से चालू करवाने की माँग की है।
पत्र का मजमून टोपे की दयनीय आर्थिक स्थिति की कहानी बयान करता है। टोपे ने अपने पत्र में लिखा है कि उनके पिता स्वर्गीय नारायण राव टोपे को पहले अनुकम्पा भत्ता मिलता था मगर अब हालात ये हैं कि मंजूरी के बाद भी उन्हें यह भत्ता नहीं दिया जा रहा है।
कानपुर से करीब 30 किमी दूर गंगातट पर स्थित बिठूर में परचून की दुकान चलाकर अपना तथा अपने परिवार का भरण-पोषण कर रहे टोपे ने सहायता के लिए तिवारी को आभार स्वरूप लिखे गए पत्र में कहा है- 1100 रुपए देने के लिए धन्यवाद। आशा है आगे भी आप इसी तरह मदद करते रहेंगे। टोपे ने अपने पत्र में तिवारी से अनुकम्पा भत्ता दिलाने का आग्रह करते हुए लिखा है- कृपया मेरा यह काम अवश्य करा दें। मैं सदा आभारी रहूँगा।
महान क्रांतिकारी तात्या टोपे के पौत्र विनायक राव टोपे के दिल में यह बात टीस पैदा करती है कि सरकार जहाँ एक ओर वर्ष 1857 में हुए देश के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की 150वीं वर्षगाँठ मनाने के लिए कई सौ करोड़ रुपए खर्च कर रही है वहीं इस क्रांति की अलख जगाने और इसकी लपटों के ईंधन के रूप में अपना खून देने वाले नायकों तथा उनके परिजनों का हाल जानने वाला को कोई नहीं है।
टोपे ने पत्र में कहा है कि उनके पूर्वजों की सारी सम्पत्ति अंग्रेजों ने तहस-नहस कर दी थी और अब उनके लिए अपनी आजीविका चलाना भी दूभर हो गया है। उनका कहना है कि वर्ष 1857 में हुए स्वतंत्रता संग्राम की क्रांति की 150वीं वर्षगाँठ की सार्थकता क्रांतिकारियों की याद और उनके वंशजों की समुचित देखभाल में भी निहित है।
इस बीच तिवारी ने बताया कि टोपे का पत्र उन्हें प्राप्त हो गया है और उन्होंने केन्द्रीय गृह राज्यमंत्री और स्थानीय सांसद श्रीप्रकाश जायसवाल को पत्र लिखकर टोपे की दयनीय स्थिति से अवगत कराते हुए केन्द्र सरकार से 10 हजार प्रतिमाह मदद दिलाने का आग्रह किया है।
उन्होंने कहा कि 1857 के संग्राम की 150वीं वर्षगाँठ पर इस संग्राम के वंशजों को नियमित आर्थिक सहायता शुरू करना महान क्रांतिकारी तात्या टोपे जैसे स्वतंत्रता सैनानियों को सबसे बड़ी श्रद्धांजलि होगी।