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Written By Naidunia

बस्तर में सेना की आमद

बस्तर में सेना की आमद -
धुर नक्सल प्रभावित बस्तर इलाके में सेना के कदम पड़ चुके हैं। सेना के जवान राज्य सरकार द्वारा ट्रेनिंग के लिए उपलब्ध कराए गए स्थानों में जंगल युद्ध कला के गुर सीखेंगे। सेना के जवान नक्सली इलाके में जगह बदल- बदल कर प्रशिक्षण लेंगे। इससे निश्चित रूप से नक्सलियों पर सुरक्षा बलों का दबाव बढ़ेगा।

छत्तीसगढ़-उड़ीसा सब एरिया हेड क्वार्टर से रवाना होते ही जवानों की ट्रेनिंग शुरू हो गई है। अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि सेना का इस्तेमाल सीधेतौर पर नक्सली ऑपरेशन में नहीं किया जाएगा। इसके बावजूद सेना आत्मरक्षा के लिए नक्सलियों के खिलाफ हथियार उठाने से नहीं चूकेगी।

घने जंगल और पहाड़ियों की वजह से सेना के अधिकारियों ने बस्तर इलाके का चयन जंगल वॉरफेयर प्रशिक्षण के लिए किया था। इसके मद्देनजर सरकार ने दंतेवाड़ा जिले के ओरछा ब्लॉक में करीब ढाई सौ किलोमीटर का एरिया सेना को उपलब्ध कराया है। जवान यहां गुरिल्ला वार के तकनीक सीखेंगे। प्रशिक्षण के लिए लखनऊ, बरेली, हरिद्वार और नेपाल बार्डर से अलग- अलग दस्तों में जवान पहुंच गए हैं। इनके साथ ट्रेनिंग देने वाले अफसर भी हैं। अफसरों ने बताया कि बार्डर में तैनात अलग- अलग दस्ते के जवान छत्तीसगढ़ में प्रशिक्षण के लिए अपनी आमद दर्ज करवा चुके हैं। जवानों को ट्रेनर अफसरों के साथ अलग-अलग मार्गों से कांकेर, नारायणपुर व बस्तर के लिए रवाना किया है।

राजधानी स्थित सेना मुख्यालय से रवाना होते ही रास्ते में जवानों की ट्रेनिंग शुरू हो गई है। वे प्रशिक्षण के लिए चिन्हित इलाकों में जगह बदल- बदलकर ट्रेनिंग लेंगे। उनका कोई स्थाई कैम्प नहीं होगा। जरूरत के हिसाब से जवान कभी पहाड़ियों में तो कभी घने जंगल के बीच जंगल वॉरफेयर की ट्रेनिंग लेंगे। उनका पक्का कंट्रक्शन नहीं होगा। अधिकारियों का कहना है कि देश की सीमा पर स्थित राज्यों के लोगों को अक्सर सेना के प्रशिक्षण अभियानों को देखने का मौका मिलता है, लेकिन छत्तीसगढ़वासियों के लिए यह पहला अवसर होगा जब वे देख पाएंगे कि सेना किस तरह अपने जवानों को युद्ध कला का प्रशिक्षण देती है। (नईदुनिया)