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Written By भाषा

जसवंत की याचिका पर गुजरात को नोटिस

किताब पर प्रतिबंध लगाने का मामला

जसवंतसिंह
उच्चतम न्यायालय ने भाजपा के निष्काषित नेता जसवंतसिंह की विवादास्पद किताब पर गुजरात में प्रतिबंध लगाए जाने के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर राज्य की नरेंद्र मोदी सरकार को नोटिस जारी किया है।

जसवंत ने मोहम्मद अली जिन्ना के बारे में लिखी गई अपनी विवादास्पद किताब पर गुजरात में प्रतिबंध लगाए जाने को लेकर राज्य सरकार के इस आदेश को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी थी।

न्यायमूर्ति अल्तमस कबीर और न्यायमूर्ति साइरस जोसफ की एक पीठ ने राज्य सरकार के वकील को इस मुद्दे पर सरकार से जवाब लाने को कहा और इस मामले की अगली सुनवाई आठ सितंबर को तय की। वरिष्ठ अधिवक्ता फली एस. नरीमन और सोली सोराबजी ने न्यायालय में जसवंतसिंह की ओर से पेश होकर यह दलील दी कि इस किताब पर प्रतिबंध लगाया जाना इसके लेखक और प्रकाशक के मूल अधिकारों का हनन है।

गौरतलब है कि गुजरात सरकार ने इस किताब के विमोचन के तुरंत बाद इस पर 19 अगस्त को प्रतिबंध लगा दिया था। राज्य सरकार ने यह आरोप लगाया था कि इसमें मौजूद सामग्री लोक शांति और राष्ट्रीय हितों के खिलाफ है।

इस 71 वर्षीय राजनेता ने गुजरात सरकार की अधिसूचना को चुनौती देते हुए आरोप लगाया था कि ‘जिन्ना- इंडिया, पार्टीशन, इंडिपेंडेंस’ किताब पर शासन ने इसमें मौजूद सामग्री को अच्छी तरह से देखे बिना मनमाने तरीके से प्रतिबंध लगा दिया। सिंह ने याचिका में कहा कि यह उनके विचार एवं अभिव्यक्ति के मूल अधिकार का हनन है।

सिंह ने अपनी याचिका में कहा था कि गुजरात सरकार ने जल्दबाजी में और स्वेच्छाचारी अधिसूचना के जरिये इस किताब पर प्रतिबंध लगाकर विचार की स्वतंत्रता का हनन किया है। इस प्रतिबंध को गैर कानूनी बताते हुए आठ बार सांसद रहने वाले इस नेता ने कहा कि यह किताब ‘ऐतिहासिक तथ्यों’ और पाँच साल के व्यापक अध्ययन पर आधारित है।

सिंह ने कहा कि अधिसूचना में इस बात का कहीं हवाला नहीं दिया गया है कि सरकार के मुताबिक किताब का कौन-सा पैरा आपत्तिजनक है या राज्य के हितों के खिलाफ है।

जसवंत सिंह ने इस किताब के प्रकाशक रूप एंड कंपनी के साथ दायर की गई अपनी याचिका में कहा है कि यह प्रत्यक्ष है कि इस किताब के खिलाफ प्रतिबंध लगाने के लिए अधिसूचना जारी करने वाले शासन ने आदेश को जारी करने से पहले इस किताब को नहीं पढ़ा था। राज्य सरकार की अधिसूचना में कहा गया है कि किताब में मौजूद सामग्री लोगों को गुमराह करने वाली और सार्वजनिक शांति एवं राज्य के हितों के खिलाफ है।

गौरतलब है कि इस किताब पर प्रतिबंध लगाने के कुछ घंटे बाद जसवंतसिंह को पार्टी से निष्कासित कर दिया गया। गुजरात सरकार ने आरोप लगाया था कि इसने देश के प्रथम गृहमंत्री सरदार वल्ल्भभाई पटेल की देशभक्ति की भावना पर सवाल उठाकर उनकी छवि को नुकसान पहुँचाया है।