एग्जाम फीवर जैसे कि नाम से ही जाहिर है या बुखार एग्जाम-जनित है, जो कि देश के अधिकांश हिस्सों में सामान्यतः मार्च और अप्रैल के महीनों में स्कूल, महाविद्यालयों और विश्वविद्यालय के विभिन्न आयु वर्ग के अधिकतर विद्यार्थियों को अपने बाहुपाश में कसकर जकड़ लेता है।
इस बुखार से पीड़ित होने की संभावना उन विद्यार्थियों में अधिक पाई जाती है, जो कि पूरे शैक्षणिक सत्र के दौरान शिक्षकों, कक्षा-कक्षों और पाठ्य-पुस्तकों से एक सम्मानजनक दूरी बनाए रखते हैं एवं इसके फलस्वरूप बचने वाले कीमती समय का सदुपयोग कैंटीन, सायबर-केफे, सिनेमा हॉल, मॉल आदि स्थानों को अपनी चरण-रज और धूम्र-दंडिकाओं से निकलने वाले इको-फ्रेंडली धुएँ से पवित्र करने के मांगलिक कार्यों में करते हैं या फिर विभिन्न मोबाइल कंपनियों द्वारा प्रदत्त अनलिमिटेड फ्री मैसेज, सस्ती आउटगोइंग, मुफ्त इनकमिंग आदि-आदि सेवाओं का लाभ उठाकर अपने माता-पिता की गाढ़ी खून-पसीने की कमाई को अपने अथक प्रयासों से सार्थक करने का प्रयास करते हैं।
एग्जाम फीवर होने की स्थिति में किताबों के दर्शन-मात्र से रोगी की कँपकँपी छूटने लगती है एवं नितांत अपरिचित-से प्रतीत होने वाले दो-चार पन्नों के उलटने-पलटने मात्र से ही उनके माथे पर पसीने की बूँदें उभर आती हैं- बोले तो सर्दी-गर्मी के एकसाथ एहसास का एकदम नायाब एहसास।
अब सवाल यह पैदा होता है कि आखिर इस बुखार की दवा क्या है? और इस बुखार के दौरान किन-किन वस्तुओं का सेवन किया जाए और किनसे परहेज किया जाए। जवाब हाजिर है जनाब, एग्जाम फीवरग्रस्त समस्त प्राणी सबसे पहले यह सुनिश्चित करें कि उनके पास किसी भी विषय की कोई भी टेक्स्ट बुक अथवा डिटेल्ड नोट्स रूपी गुटके शीघ्र ही अपने कब्जे में लेकर उन्हें, येन-केन प्रकारेण, कॉमा-फुलस्टॉप सहित कंठस्थ करना प्रारंभ कर दे।
हाँ, इसके बावजूद यदि दिमाग रूपी कम्प्यूटर की मेमोरी में कुछ बाइट्स फ्री रह जाएँ एवं जेब भी अनुमति प्रदान करे तो विभिन्न प्रकाशकों द्वारा गिरते शिक्षा स्तर को ऊपर उठाने के लिए जनहित में जारी किए गए गैस पेपरों का सेवन भी किया जा सकता है।