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Written By भाषा

क्रिकेट देखने में दिलचस्पी नहीं-धोनी

महेंद्रसिंह धोनी क्रिकेट
विश्व क्रिकेट में धूम मचाने वाले एकदिवसीय टीम कप्तान महेंद्रसिंह धोनी ने स्वीकार किया कि वे इस खेल को बहुत दिलचस्पी से नहीं देखते। वे तभी इसमें रुचि लेते हैं, जब सचिन तेंडुलकर खेल रहे हों।

धोनी ने कहा कि मैं क्रिकेट मैच बहुत दिलचस्पी के साथ नहीं देखता। यहाँ तक कि दक्षिण अफ्रीका में खेले गए विश्व कप में भी मैंने केवल सचिन को बल्लेबाजी करते हुए देखा। जिस अंतिम मैच में हम ऑस्ट्रेलिया से पराजित हुए थे, उसमें मैंने केवल सचिन की बल्लेबाजी देखी थी। मैं कुर्सी पर बैठकर मैच नहीं देख सकता।

इस 26 वर्षीय विकेटकीपर बल्लेबाज ने इसके साथ ही कहा कि उन्होंने मैदान के बाहर क्रिकेट का अध्ययन नहीं किया और केवल खेलते हुए ही इसे सीखा।

उन्होंने कहा कि मैंने क्रिकेट का बहुत अधिक अध्ययन नहीं किया। मैंने क्रिकेट में जो कुछ भी सीखा और अनुभव हासिल किया वह मैदान पर खेलते हुए सीखा। जहाँ तक आँकड़ों की बात है तो मैं कुछ नहीं जानता। यदि आप मुझसे पूछोगे कि ऐसा करने वाला पहला खिलाड़ी कौन था तो मैं सही जवाब के करीब भी नहीं पहुँच पाऊँगा।

धोनी को लगता है कि टेस्ट टीम के कप्तान अनिल कुंबले का संवाद कौशल उनसे बेहतर है। उन्होंने कहा कि इस लेग स्पिनर से उन्होंने कुछ बातें भी सीखी हैं।

धोनी ने कहा कि अनिल बहुत अच्छे व्यक्ति हैं। वे हमेशा आगे बढ़कर नेतृत्व करते हैं। वे मैदान पर केवल जीत के लिए खेलते हैं। यहाँ तक कि तब भी जब विरोधी टीम को 55 गेंद पर एक रन बनाना हो। यदि वे गेंदबाजी कर रहे हैं तो बल्लेबाज को आउट करने के बारे में सोचते हैं।

धोनी की कप्तानी की जमकर तारीफ होती रही है, लेकिन उन्होंने खुलासा किया कि ट्वेंटी-20 विश्वकप से पहले उन्होंने कभी स्कूल स्तर पर भी कप्तानी नहीं की थी।

उन्होंने कहा कि बड़े स्तर पर मुझे नहीं पता कि मैंने कभी कप्तानी की थी। स्कूल स्तर पर मैं नियमित अच्छे स्कोर बनाता था, लेकिन वे मेरे रवैये से डरते थे। मैं उस खिलाड़ी के खिलाफ सख्त रवैया अपनाता था, जो मैदान में अपना शत प्रतिशत नहीं देता था।

झारखंड के इस क्रिकेटर ने कहा कि एक नेतृत्वकर्ता के तौर पर सोचना उन्होंने काफी बाद में शुरू किया। दसवीं या 11वीं तक मैं आगे आकर अपनी बात नहीं कहता था। मैं देखो और इंतजार करो की नीति पर चलता था।