लंका के संकटमोचक बने दिलशान
कुछ अरसा पहले तक श्रीलंकाई क्रिकेट टीम के लिए बोझ माने जा रहे तिलकरत्ने दिलशान ने ट्वेंटी-20 विश्व कप के जरिये साबित कर दिया है कि अब वे बल्लेबाजी में नए संकटमोचक बन गए हैं।टूर्नामेंट में सर्वाधिक 317 रन और 96 रन की सर्वोच्च पारी खेलने वाले दिलशान ने सबसे ज्यादा 46 चौके भी लगाए हैं। अब तक तीन अर्धशतक जमाने वाला यह बल्लेबाज दो बार पचास तक पहुँचने से मामूली अंतर से चूक गया।उन्होंने अब तक 53, 74, 46, 0, 48 और 96 रन बनाए हैं। पिछले सप्ताह लार्ड्स पर उन्हें खाता खोले बिना आउट करने वाले आयरलैंड के बायड रैंकिन खुद को टूर्नामेंट के सबसे भाग्यशाली गेंदबाजों में से एक समझ सकते हैं।टेस्ट और वनडे टीम में जगह गँवा चुके दिलशान ने बांग्लादेश के खिलाफ इस साल की शुरूआत में चटगाँव टेस्ट में 162 और 143 रन बनाकर वापसी की। इसके बाद वनडे क्रिकेट में वे बल्लेबाजी क्रम में ऊपर आए। उपुल थरंगा के चोटिल होने के कारण उन्होंने खुद कप्तान से इसकी गुजारिश की थी।दिलशान ने कोलंबो में ट्वेंटी-20 मैच में श्रीलंका की कप्तानी भी की थी। इंडियन प्रीमियर लीग में भी उन्होंने 14 मैचों में 418 रन बनाए और एबी डिविलियर्स के साथ दिल्ली डेयरडेविल्स की बल्लेबाजी को संभाला। उन्होंने टीम को गौतम गंभीर और वीरेंद्र सहवाग के खराब फार्म की कमी नहीं खलने दी।टी-20 विश्व कप में तो उनकी बल्लेबाजी के जलवों ने लाखों क्रिकेटप्रेमियों को उनका मुरीद बना दिया। उन्होंने नए स्ट्रोक दिलस्कूप का भी ईजाद किया जिसमें बल्लेबाज एक घुटने पर बैठकर गेंद को सिर के ऊपर से विकेटकीपर के पीछे हवा में उछाल देता है। अब तक बल्लेबाज इस किस्म का शाट शार्ट फाइन लेग के ऊपर खेलते थे लेकिन दिलशान के साहस ने इसकी दिशा बदल दी। उन्हें सामने पाकिस्तान के मोहम्मद आमेर जैसा तूफानी गेंदबाज होने का भी डर नहीं लगता। विकेटकीपर की पहुँच से गेंद को दूर रखने का शऊर भी उन्हें बखूबी आता है।