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Written By वार्ता

धोनी की सेना ने खौफ खत्म किया

महेन्द्रसिंह धोनी
न्यूजीलैंड की जमीन को भारत के लिए 'खौफलैंड' माना जाता था। भारतीय क्रिकेट टीमें वहाँ खेलने से घबराती थीं। भारत के सबसे सफल कप्तान सौरव गांगुली के लिए न्यूजीलैंड का पिछला दौरा दुःस्वप्न साबित हुआ था लेकिन महेन्द्रसिंह धोनी की सेना ने कीवियों को उन्हीं की जमीन पर धूल चटाकर भारतीय क्रिकेट में नया इतिहास रच दिया है।

भारत पिछले 41 वर्षों से न्यूजीलैंड में कोई टेस्ट श्रृंखला और पिछले 33 वर्षों से कोई वनडे श्रृंखला नहीं जीत पाया था। छह वर्ष पूर्व पिछले कीवी दौरे में गांगुली की टीम को टेस्ट सिरीज में 0-2 से और वनडे सिरीज में 2-5 से मात खानी पड़ी थी।

लेकिन धोनी की सेना ने पाँच मैचों की मौजूदा एक दिवसीय श्रृंखला में 3-0 की अपराजेय बढ़त बनाकर पिछले चार दशकों से अधिक समय में न्यूजीलैंड की जमीन पर कोई श्रृंखला नहीं जीत पाने का सूखा समाप्त कर दिया है।

धोनी की सेना ने पिछले छह महीनों से चल रहा अपना अजेय रथ न्यूजीलैंड की जमीन पर भी दौड़ा दिया है। इस दौरान भारत ने ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड से लगातार टेस्ट श्रृंखलाएँ जीतीं। इसके अलावा भारत ने इंग्लैंड को 5-0 और श्रीलंका को 4-1 से हराने के बाद न्यूजीलैंड के खिलाफ 3-0 की अपराजेय बढ़त बनाकर वनडे सिरीज में जीत की हैट्रिक पूरी कर ली है।

भारत ने इससे पहले न्यूजीलैंड में कोई श्रृंखला 1967-68 में जीती थी, तब भारत ने न्यूजीलैंड को चार टेस्टों की सिरीज में 3-1 से हराया था। उसके बाद 1975-76 की श्रृंखला 1-1 से ड्रॉ रही। वर्ष 1980-81 में न्यूजीलैंड में न्यूजीलैंड ने तीन टेस्टों की श्रृंखला 1-0 से और 1989-90 में भी तीन टेस्टों की श्रृंखला 1-0 से जीती। वर्ष 1993-94 में खेला गया एकमात्र टेस्ट ड्रॉ रहा। न्यूजीलैंड ने 1998-99 में दो टेस्टों की श्रृंखला 1-0 से और 2002-03 में दो टेस्टों की श्रृंखला 2-0 से जीती।

वनडे में भारत ने पहली बार न्यूजीलैंड में श्रृंखला 1975-76 में खेली और वह श्रृंखला 0-2 से गँवाई1 भारत ने 1980-81 में न्यूजीलैंड से दो मैचों की सिरीज 0-2 से गँवाई। इसके बाद 1993-94 की चार मैचों की सिरीज 2-2 से बराबरी पर छूटी। वर्ष 1998-99 की पाँच मैचों की श्रृंखला भी 2-2 से बराबरी पर छूटी, लेकिन 2002-03 की श्रृंखला में भारत को 2-5 से शर्मनाक शिकस्त झेलनी पड़ी।

धोनी की टीम ने इस दौरे की शुरुआत में जिस तरह दो ट्वेंटी-20 मैच गँवाए उससे यह आशंका फिर उत्पन्न होने लगी थी कि कहीं इस टीम को पिछली टीमों जैसा दर्द न झेलना पड़े, लेकिन धोनी के जाँबाजों ने वनडे सिरीज में गजब का प्रदर्शन कर सारे समीकरण उलट डाले।

भारतीय टीम हर लिहाज से अब तक मेजबान टीम पर भारी पड़ी है। विस्फोटक ओपनर वीरेन्द्र सहवाग चार मैचों में 86.33 के औसत से 259 रन बनाकर इस सिरीज में चोटी के बल्लेबाज हैं। मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंडुलकर तीन मैचों में 122.00 के औसत से 244 रन बना चुके हैं, जिसमें तीसरे वनडे में 163 रन (रिटायर्ड हर्ट) की बेहतरीन पारी शामिल है। यदि सचिन उस मैच में पेट की माँसपेशियों में खिंचाव के कारण रिटायर्ड हर्ट नहीं हुए होते तो वे शायद वनडे इतिहास का पहला दोहरा शतक लगा जाते।

कप्तान धोनी चार मैचों में 175.00 के औसत से 175 रन बना चुके हैं। सुरेश रैना ने चार मैचों में 117 रन और गौतम गंभीर ने चार मैचों में 108 रन बनाए हैं। भारतीय बल्लेबाजों को छह वर्ष पूर्व पिछले दौरे में एक-एक रन बनाने के लिए संघर्ष करना पड़ा था और कई मैचों में टीम का स्कोर 150 के भी पार नहीं पहुँच पाया था, लेकिन इस बार भारतीय बल्लेबाजों की मार के आगे न्यूजीलैंड के गेंदबाज पनाह माँगते नजर आ रहे हैं।

गेंदबाजी में भी भारतीय गेंदबाजों का दबदबा है। सिरीज में अब तक शीर्ष छह गेंदबाजों में से पाँच भारत के हैं। हरभजनसिंह चार मैचों में पाँच विकेट, जहीर खान चार मैचों में चार विकेट, युवराजसिंह चार मैचों में चार विकेट, यूसुफ पठान चार मैचों में तीन विकेट, प्रवीण कुमार चार मैचों में तीन विकेट ले चुके हैं।

बल्लेबाजी और गेंदबाजी के अलावा देखा जाए तो धोनी कप्तानी में प्रतिद्वंद्वी कप्तान डेनियल ‍विटोरी पर भारी साबित हुए हैं। धोनी ने व्यक्तिगत प्रदर्शन और कप्तानी में विटोरी के मुकाबले टीम को कहीं ज्यादा प्रेरित किया है।

अब तक सिरीज के जिन तीन मैचों के परिणाम निकले हैं, उनमें भारतीय ही 'मैन ऑफ द मैच' रहे हैं। पहले मैच में रैना, तीसरे में सचिन और चौथे में सहवाग 'मैन ऑफ द मैच' बने। दूसरा मैच वर्षा के कारण रद्द रहा था। भारतीयों की नजरें अब इस सिरीज को 'क्लीन स्वीप' करने पर हैं। यदि भारत 14 मार्च को आखिरी वनडे भी जीत जाता है तो वह न्यूजीलैंड से एक साथ कई हिसाब-किताब बराबर कर लेगा।