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Written By वार्ता
Last Modified: ब्रिजटाउन (वार्ता) , सोमवार, 4 जून 2007 (07:06 IST)

चुनौती तो दी श्रीलंका ने ऑस्ट्रेलिया को

चुनौती तो दी श्रीलंका ने ऑस्ट्रेलिया को -
श्रीलंका का क्रिकेट विश्व कप अभियान भले ही आखिरी पड़ाव पर पटरी से उतर गया हो, मगर उसका पेशेवर रुख उसके भविष्य के प्रति आश्वस्त करता है।

ऑस्ट्रेलिया ने शनिवार को यहाँ बारिश से प्रभावित मैच में श्रीलंका को डकवर्थ-लुईस प्रणाली के तहत 53 रन से हराकर लगातार तीसरी बार विश्व कप जीत लिया।

इस जीत के साथ अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट पर ऑस्ट्रेलिया की चौधराहट बरकरार रही, लेकिन श्रीलंका ने भी दिखा दिया कि उसमें ऑस्ट्रेलिया को चुनौती देने की कूवत है। साथ ही उसने अपने एशियाई प्रतिद्वंद्वियों के लिए मिसाल पेश की, जो टूर्नामेंट के ग्रुप चरण से बाहर हो गए थे।

भारत ने 2003 और पाकिस्तान ने 1999 में फाइनल में ऑस्ट्रेलिया से लोहा लिया था, लेकिन इनमें से कोई भी ऑस्ट्रेलिया के इतने करीब नहीं आ पाया था, जितना श्रीलंका पहुँच गया।

श्रीलंका के खेल में उसकी लंबी तैयारी और छोटी से छोटी बात पर गौर करने का लाभ साफ झलक रहा था। दूसरी ओर भारत और पाकिस्तान की टीम में एकजुटता का अभाव साफ दिखाई दे रहा था।

सनथ जयसूर्या और कुमार संगकारा ने 38 ओवरों में 282 रन के विशाल लक्ष्य के सामने जिस पेशेवर अंदाज में शुरुआत की वह वाकई लाजवाब था।

इस विश्व कप में श्रीलंका ने तीन मैच गँवाए, जिनमें से दो ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ थे। इसके अलावा दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ सुपर आठ लीग का मैच उसने एक विकेट से गँवाया। इस मैच में तेज गेंदबाज लासित मलिंगा ने लगातार गेंदों पर चार विकेट हासिल किए।

23 साल के मलिंगा ने टूर्नामेंट में 15.77 रन के औसत से 18 विकेट लिए। वह भी तब जब वह टखने की चोट के कारण तीन मैचों में नहीं खेल सके। फाइनल में जब एडम गिलक्रिस्ट ने 149 रन की अपनी पारी में श्रीलंकाई गेंदबाजों के धुर्रे उड़ा दिए उस समय भी मलिंगा खासे प्रभावशाली दिखाई दिए।