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सीख-चिड़ियाघर से
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एम.के. सांघीशेर - जंगल में अपनी ताकत कामुझको था बड़ा ही घमंडफँस गया एक दिन जाल मेंपिंजरे में होना पड़ा बंद।बंदर -देखो हम उछलते-कूदतेबच्चों तुम हँसते रहतेहम भी शायद आदमी होतेसदा ना हम पेड़ पर होते।भालू - चोरी, चुराने की आदतशहद खाए बिना मेहनतसजा मिली है मुझे देखोबंद पड़ा हूँ पिंजरे अब।कबूतर - खूब जनसंख्या बढ़ाने कीजो हम नहीं करते नादानीयूँ नहीं झगड़ना पड़तापाने के लिए दाना-पानी।उल्लू -रातों में यदि जागोगे देर तकतो सुबह जल्दी नहीं उठ पाओगेबनोगे मुझ सरीखे उल्लूबुद्धिहीन रह जाओगे।हाथी - खूब ज्यादा खाने कापाया हमनें यह नतीजाहमारे जैसा भारी-भरकमजानवर नहीं जगत में दूजा।खरगोश - खतरा सामने होने परतेज रफ्तार बचाती हैबेवजह की तेज रफ्तारखतरों को स्वयं बुलाती है।भेड़िया- बुरे काम बुरे होते हैंचाहे करो झुंड के साथसाथियों के बहकावे मेंगलत ना करना कोई काम।