प्यार इम्पॉसिबल फील गुड मूवी है : प्रियंका चोपड़ा
‘प्यार इम्पॉसिबल’ की सफलता जिम्मेदारी प्रियंका चोपड़ा के नाजुक कंधों पर है क्योंकि वे फिल्म की सबसे बड़ी स्टार हैं। प्रियंका इस फिल्म को लेकर बेहद आश्वस्त हैं और उन्हें उम्मीद है कि युवाओं को यह फिल्म पसंद आएगी। पेश है प्रियंका से बातचीत।
‘प्यार इम्पॉसिबल’ आपको कैसे मिली? उदय और जुगल ने एक बार मुलाकात के दौरान मुझे स्क्रिप्ट थमाई। उस दौरान मैं ‘कमीने’ की शूटिंग में व्यस्त थी। एक रात मैंने स्क्रिप्ट पढ़ने का निश्चय किया और सुबह चार बजे तक पढ़कर खत्म की। मुझे स्क्रिप्ट बेहद पसंद आई और मैंने हाँ कह दिया। फिल्म की कहानी के बारे आप कुछ बताना चाहेंगी?यह एक प्रेम कहानी है, जो बड़े मजेदार तरीके से पेश की गई है। अभय शर्मा अपने कॉलेज की सबसे खूबसूरत लड़की अलिशा मर्चेण्ट को बेहद चाहता है, लेकिन कह नहीं पाता है। अलिशा को उसके बारे में कुछ भी नहीं पता रहता है। कॉलेज की पढ़ाई खत्म होने के 6-7 वर्षों बाद वे फिर टकराते हैं और उन्हें एक-दूसरे को जानने का अवसर मिलता है। अपनी भूमिका के लिए आपने क्या तैयारी की? कुछ भी नहीं। सेट पर पहुँचकर जैसी मैं हूँ वैसा अपने आपको पेश किया। अलिशा के लुक के लिए मैंने अपने बालों को छोटा किया और उसे स्टाइलिश तरीके से पेश किया। उदय चोपड़ा के बारे में क्या कहना चाहेंगी? उदय और मैंने मिलकर खूब मस्ती की। उसने मुझे बिगाड़ने में कोई कसर बाकी नहीं रखी। सेट पर उन्होंने हमेशा बेहतरीन भोजन मँगाया। अच्छा भोजन मेरी कमजोरी है, इसलिए मैंने जरूरत से ज्यादा खाया और थोड़ी मोटी हो गई। कई बार हम पूरी रात जागते थे। पैकअप के बाद जुगल, उदय, अहमद और मैं 24 घंटे खुले रहने वाले कॉफी शॉप में जाते थे और सुबह 6 बजे तक हर विषय पर बात करते रहते थे। एक निर्माता, एक लेखक और एक अभिनेता के रूप में उदय बेहतरीन हैं। निर्देशक के रूप में जुगल हंसराज कैसे लगे? मुझे तो लगता है कि जुगल में ‘ओवरएक्टिंग मीटर’ लगा है। थोड़ी-सी ओवर एक्टिंग हुई तो वे फौरन पकड़ लेते थे और कहते थे ‘ये थोड़ा सा ज्यादा हो गया।‘ उनके दिमाग में यह बात स्पष्ट रहती है कि वे क्या चाहते हैं। वे आराम से काम करना पसंद करते हैं और जल्दबाजी नहीं करते, जिससे कलाकारों पर भी दबाव कम रहता है। मुझे तो महसूस ही नहीं हुआ कि मैं फिल्म कर रही हूँ।फिल्म का नाम ‘प्यार इम्पॉसिबल’ आपको कैसा लगा? बहुत ही प्यारा नाम है और फिल्म के बारे में पूरी जानकारी देता है। अभय सोचता है कि यह प्यार पॉसिबल नहीं है। जब आप दो व्यक्तियों को साथ देखते हैं तो आप कह सकते हैं कि इनमें प्यार संभव नहीं है क्योंकि दोनों एक-दूसरे से बेहद अलग हैं। इससे बेहतरीन नाम फिल्म का हो ही नहीं सकता है। फिल्म के संगीत के बारे में आपके क्या विचार हैं? सलीम-सुलेमान प्रतिभाशाली संगीतकार हैं और उन्होंने बेहतरीन संगीत दिया है। ‘प्यार इम्पॉसिबल’ फील गुड मूवी है और वैसा ही उसका संगीत है। हर गाने को सुनने के बाद आप खुशी महसूस करेंगे। पहली बार मैंने ‘अलिशा’ गीत सुना तो मैंने उसे गाने की कोशिश की, लेकिन अनुष्का ने मुझसे बेहतर गया। हर गीत अपने आप में खासियत लिए हुए है। यशराज फिल्म्स के साथ पहली बार आपने फिल्म की है। कैसा अनुभव रहा? यह बैनर अब मुझे अपने घर जैसा लगता है। वायआरएफ में इतनी सुविधा मिलती हैं कि सारे एक्टर्स इस बैनर के साथ काम करने के बाद बिगड़ जाते हैं।