देश का अगला प्रधानमंत्री : युवाओं की नजर में
62 साल के मोदी या 4३ साल के राहुल
यूं तो भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में सियासत की राजनीति कभी भी बंद नहीं होती। कभी इसमें मंदी भी नहीं आती भले देश की अर्थव्यवस्था मंदी के दौर से गुजर रही हो। यह ऐसी फसल है जो हमेशा लहलहाती रहती है। जो भी राजनीतिक पार्टी या राजनेता जितनी ज्यादा पुरानी होती है उनकी राजनीति उतनी ही ज्यादा जवान होती है। वह राजनीति के उतने ही बडे़ धुरंधर और माहिर खिलाडी़ माने जाते हैं। यह अलग बात है कि चुनाव के वक्त देश की राजनीति में खुमारी कुछ ज्यादा ही बढ़ जाती है। अब एक बार फिर से पूरे देश में हर तरफ 2014 के चुनाव को लेकर राजनीतिक दंगल शुरू हो चुका है। देश का हर तबका हर इलाका राजनीति के रंग में रंग चुका है। देश की सभी राजनीतिक पार्टियां भी अपनी पूरी तैयारी के साथ इस जंग में कूद चुकी हैं। सभी पूरे जोर-शोर से देश की जनता को लुभाने में लगी हैं। नए पुराने दावों और वादों का सिलसिला भी शुरू हो चुका है। लेकिन देश की इस राजनीतिक अंगड़ाई में एक बात जो सबसे महत्वपूर्ण है और जो पूरे देश की राजनीतिक फिजां में तैर भी रही है वह यह कि हर रोज जवान होते देश में यहां का युवा किस करवट बैठेगा? युवाओं का देश कहलाने वाले इस देश में उनका समर्थन हासिल करने में कौन कामयाब हो पाता है।