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Written By ND

बराक ओबामा एनआरआई की नजर में

बराक ओबामा एनआरआई की नजर में -
- बीएस भंडारी

डेमोक्रेटिक पार्टी के प्रत्याशी बरॉक ओबामा के राष्ट्रपति पद पर चुने जाने से प्रवासी भारतीयों में प्रसन्नता की लहर फैलना स्वाभाविक है। लगभग एक चौथाई भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिक रिपब्लिकन पार्टी के समर्थन में काम करते रहे मगर कुल मिलाकर अधिकांश भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिकों ने डेमोक्रेट बरॉक ओबामा को ही आदर्श प्रत्याशी माना था।

  चुनाव पूर्व किए गए सर्वेक्षण में प्रवासी भारतीयों में 81 प्रश ओबामा की जीत चाहते थे। ओबामा की जीत में अमेरिका में रहने वाले 23 लाख भारतीय मूल के मतदाताओं की सार्थक भूमिका रही है। इन लोगों को ओबामा अपने जैसा व्यक्ति लगता है      
चुनाव पूर्व किए गए सर्वेक्षण में प्रवासी भारतीयों में 81 प्रश ओबामा की जीत चाहते थे। ओबामा की जीत में अमेरिका में रहने वाले 23 लाख भारतीय मूल के मतदाताओं की सार्थक भूमिका रही है। इन लोगों को ओबामा अपने जैसा व्यक्ति लगता है। जॉन मेकैन, जॉर्ज बुश या रिपब्लिकन पार्टी के लोगों से वे स्वयं को अलग समझते हैं।

राष्ट्रपति चुनाव अभियान में बीस प्रत्याशियों ने 150 करोड़ डॉलर से अधिक रकम प्राइमरी और जनरल चुनाव में खर्च की। वैसे तो अमेरिका में रहने वाले मुसलमान परंपरागत रूप से रिपब्लिकन पार्टी के प्रत्याशी के पक्ष में मत देते आए हैं।

अमेरिका में 40 लाख मुस्लिम मतदाता हैं। मगर इस बार उनमें से अनेक ने डेमोक्रेट प्रत्याशी बरॉक ओबामा के पक्ष में मत दिया है। ओबामा मुस्लिम नहीं हैं। मगर मेकैन समर्थकों ने एक ऐसा पोस्टर लगाया है जिसमें उसे पगड़ी बाँधे मुस्लिम वेशभूषा में दिखाया गया है।

अटलांटा जार्जिया की जिना सिम्स ने स्वीकार किया कि वे बदलाव चाहती हैं और उसने ओबामा के पक्ष में मत दिया है। जॉर्जिया राज्य सामान्यतः रिपब्लिकन समर्थक माना जाता है। वहाँ रहने वाले ट्रक चालक ब्रायन ने बताया कि उसने मेकैन को मत दिया है। वे मेकैन का सम्मान करते हैं और वे अनुभवी हैं।

वजीर्निया में रहने वाले इंदौर के जयसिंह व सुमंगला भंडारी तथा डॉ. रावतमल के परिवारों ने भी डेमोक्रेट प्रत्याशियों का समर्थन किया। स्टन टेक्सास के अधिकांश भारतीयों ने जो स्वामीनारायण, हरेराम हरेकृष्ण व मीनाक्षी मंदिर के खास भक्त हैं, ओबामा के पक्ष में मत दिया। भारतीय चिकित्सक भी ओबामा का प्रचार करते दिखे। नासा के भारतीय वैज्ञानिक और हार्विन के दुकानदार भी उत्साहित नजर आए।

स्टन जॉर्ज बुश का गृहनगर है फिर भी रिपब्लिकनों का जोर नजर नहीं आया। फिलाडेल्फिया के रिचर्ड थेचर तथा अनेक वरिष्ठ नागरिक भी बदलाव के पक्ष में नजर आए। उनका सोच था कि हमें ऐसा राष्ट्रपति चाहिए जो हमारा बोझ उठा सके। शायद इसीलिए ओबामा जीत गए। (नईदुनिया)