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Written By ND
Last Modified: नई दिल्ली। , गुरुवार, 6 नवंबर 2008 (00:24 IST)

आज की नहीं है अश्वेतों की जंग

आज की नहीं है अश्वेतों की जंग -
खेल के जरिए अश्वेतों ने बहुत पहले से अमेरिकी समाज में अपनी बराबरी के लिए जंग छेड़ी थी। दौड़ाक से लेकर टेनिस खिलाड़ी तक हर जगह इनका बोलबाला रहा।

1968 में हुए ओलिम्पिक में दो अमेरिकी धावकों ने रंगभेद के खिलाफ इतिहास रचा। टोमी स्मिथ ने 200 मीटर दौड़ में पहला और जॉन कार्लोस ने तीसरा स्थान हासिल किया। उन्होंने बिना जूतों के काने मोजे पहनकर पुरस्कार लिया।

हाथ में काले दस्ताने पहने हुए थे और विरोध में मुट्ठियाँ बंद कर रखी थी। इसे ओलिम्पिक ब्लैक पॉवर सैल्यूट कहा जाता है। स्मिथ ने गले में काला स्कार्फ डाला था, जबकि कार्लोस ने अपना जैकेट खोलकर अपनी काली त्वचा दिखाकर अश्वेत श्रमिकों से अपनी एकजुटता जाहिर की थी। इस तरह से उन अश्वेतों के दुःखों को अंतरराष्ट्रीय मंच में उद्घाटित किया। इसकी उन्हें भारी कीमत भी चुकाना पड़ी।

-1963 आर्थर ऐश ने, जो पहले अफ्रीकी-अमेरिकी थे, अमेरिकी टेनिस की डेविस कप टीम में चुने गए। उन्होंने कई ग्रैंड स्लैम पुरस्कार भी जीते। वे पहले अफ्रीकी अमेरिकी हैं, जिन्होंने ग्रैंड स्लैम जीते हैं।