अमेरिकी चुनाव: विशेष झलकियाँ
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न्यूयॉर्क से जितेन्द्र मुछाल 21
महीनों से चल रहे अमेरिका के सबसे लंबे, बड़े, महँगे और वृहद चुनाव अभियान का आज पटाक्षेप बराक ओबामा की जीत के साथ ही हो गया। अमेरिका के 44वें राष्ट्रपति पद के लिए हुए इस चुनाव में दोनों ही पार्टियों के उम्मीदवार ऐतिहासिक थे। अश्वेत बराक ओबामा और सबसे अधिक उम्र के जॉन मैक्केन तथा पहली महिला प्रत्याशी सारा पोलिन व मतदाताओं की नजर में देश की बिगड़ी हुई अर्थव्यवस्था इस वक्त का सबसे अहम मुद्दा रही। 60 प्रतिशत से अधिक लोगों ने अर्थव्यवस्था को सबसे महत्वपूर्ण पहलू बताया। जॉर्ज बुश के मुद्दे, ईराक और आतंकवाद 10 प्रतिशत लोगों के लिए महत्वपूर्ण थे। फीका हुआ गोरे-काले का भेद : अमेरिका के ठेठ रहवासियों में अभी भी रंगभेद का गहरा प्रभाव है, लेकिन इस बार आर्थिक मुद्दे और बुश प्रशासन की बिगड़ी नीतियों ने गोरे-काले के भेद को भी फीका कर दिया। रोटी, कपड़ा और मकान के सामने और कोई मुद्दा नहीं टिकता। मतदान के दिन पूरे अमेरिका में मौसम सामान्य रहा, जिससे मतदाताओं को काफी आसानी रही। मतदान के लिए लगी लंबी लाइन : अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव इतिहास में इतनी भारी तादाद में मतदान ऐतिहासिक है। कई स्थानों पर लोग मतदान के लिए एक घंटे से अधिक समय तक कतार में खड़े रहे। यहाँ पर प्रचलन है कि मतदान की समय सीमा तक जो भी व्यक्ति कतार में खड़े हैं, उन्हें मतदान का अवसर मिलता ही है। चुनाव की पूर्व संध्या पर घर में गमी : चुनाव में एक मार्मिक मोड़ कल रहा, जब ओबामा की 86 वर्षीय नानी मैडेलिन का ठीक चुनाव की पूर्व संध्या पर देहांत हो गया। ओबामा की नानी हवाई में रहती थीं और उनकी बिगड़ती
तबीयत के चलते ओबामा 10 दिन पहले अपने चुनाव के दौरान समय निकालकर उनसे मिलने हवाई गए थे। ओबामा ने बचपन का काफी समय अपने नाना-नानी के साथ गुजरा था। उनकी नानी इस ऐतिहासिक क्षण को तो नहीं देख पाईं, लेकिन डाक से भेजा गया उनका मतदान मान्य रहेगा। बराक ओबामा ने दिन में थोड़ा समय अपने प्रिय खेल बास्केटबॉल खेलने में बिताया। पूरे चुनाव अभियान के दौरान ओबामा लगभग रोजाना थोड़ा समय बास्केटबॉल कोर्ट पर गुजारते थे। टाइम्स स्क्वेयर पर भारी भीड़ : अमेरिका के कई राज्यों में निर्धारित तिथि से पहले वैधानिक रूप से मतदान शुरू हो जाता है। इस बार कई लोगों ने इस व्यवस्था का लाभ उठाया। स्थानीय समयानुसार शाम को जब नतीजों की घोषणा शुरू हो रही थी, तब टाइम्स स्क्वेयर पर भारी भीड़ जमा थी। चारों ओर बड़े टीवी परदों पर सभी प्रमुख टीवी चैनल्स के प्रसारण चल रहे थे, जैसे इंदौर में राजवाड़ा का माहौल हो। डेमोक्रेटिक पार्टी सीनेट में बहुमत के कयास में : राष्ट्रपति चुनाव के साथ अमेरिकी सीनेट के चुनाव भी महत्वपूर्ण हैं। डेमोक्रेटिक पार्टी सीनेट में बहुमत के कयास में है, जिससे व्हाइट हाउस और कांग्रेस दोनों पर उनकी सत्ता हो जाएगी। कई राज्यों में जल प्रलय : इस बार अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव पर सारी दुनिया की नजरें गढ़ी हुई थीं। मानो सारी दुनिया अमेरिका में परिवर्तन की आस लगा रही हो। '
वेस्ट विंग' के अंश हुए जीवंत : कुछ वर्षों पूर्व अमेरिका के राष्ट्रपति पर आधारित एक चर्चित टीवी सीरियल 'वेस्ट विंग' के आखिरी अंश मानो इस बार के चुनाव में जीवंत हो गए।
वेस्ट विंग में डेमोक्रेटिक पार्टी के और मैक्सिकन उम्मीदवार रिपब्लिकन पार्टी के वरिष्ठ दिग्गज स्नेटर को हराकर राष्ट्रपति चुन लिया जाता है। अंत और भी रोचक है, जब नवनिर्वाचित राष्ट्रपति पार्टियों में सामंजस्य के लिए अपने चुनाव विरोधी को ही देश का विदेशमंत्री मनोनीत कर देता है। क्या ओबामा शासन में अनुभवी मैक्केन को कोई स्थान मिलेगा, वक्त ही बताएगा। बुश- डिक ने बनाई दूरियाँ : राष्ट्रपति बुश और डिक शैनी तो कई दिनों से टीवी और अखबारों से गायब ही हैं। न सिर्फ डेमोक्रेट वरन उनकी रिपब्लिकन पार्टी के ही मैक्केन भी उनसे दूरी बनाए रखना चाहते थे। युवा समुदाय पर छोड़ी छाप : ओबामा ने अपने चुनाव अभियान के लिए रिकॉर्ड 600 बिलियन डॉलर एकत्रित किए। खास बात यह है कि यह राशि उन्होंने चंद धनपतियों और कंपनियों के बजाय 30 लाख लोगों से छोटी-छोटी मात्रा से जुटाए। ओबामा ने चुनाव अभियान में इंटरनेट का कारगर उपयोग करके युवा समुदाय में अपनी गहरी पहचान बना ली। हनुमानजी ने बेड़ा पार लगाया : ओबामा अपनी जेब में कुछ 'टोटके' रखते हैं, जिनमें एक छोटे आकार की हनुमान की मूर्ति भी है। हनुमानजी के मंगलवार के दिन हुए चुनाव ओबामा के लिए सार्थक सिद्ध हुए।