अक्षय तृतीया कुछ विशेष कार्यों के लिए शुभ और कुछ कार्यों के लिए अशुभ फल प्रदान करती है और इस दिन कुछ खास कार्य भूलकर भी नहीं करना चाहिए...
अक्षय तृतीया पर क्या करें
अक्षय तृतीया की पावन तिथि को व्यापार आरम्भ, गृहप्रवेश, वैवाहिक कार्य, सकाम अनुष्ठान, जप-तप, पूजा-पाठ आदि के लिए अत्यंत शुभ माना गया है। इस दिन दिया गया दान और मिलने वाला पुण्य अक्षय रहता है, अर्थात् वह कभी नष्ट नहीं होता है।
अक्षय तृतीया के दिन पीपल, आम, पाकड़, गूलर, बरगद, आंवला, बेल, जामुन अथवा अन्य फलदार वृक्ष लगाने से प्राणी सभी कष्टों से मुक्त होकर ऐश्वर्य भोगता है। जिसप्रकार 'अक्षय तृतीया' को लगाए गए वृक्ष हरे-भरे होकर पल्लवित- पुष्पित होते हैं, उसी प्रकार इस दिन वृक्षारोपण करने वाला प्राणी भी प्रगतिपथ की और अग्रसर होता है।
अक्षय तृतीया पर क्या न करें
जिस तरह अक्षय तृतीया पर किए जाने वाले पुण्य कार्य का क्षय नहीं होता है, उसका फल निश्चित रूप से व्यक्ति को मिलता है, उसी प्रकार इस दिन किये जाने वाले अनाचार, अत्याचार, दुराचार, धूर्तता आदि के परिणाम से होने वाला पाप कर्मफल भी अक्षुण रहता है। अक्षय तृतीया के दिन किया गया पाप हर जन्म में जीव का पीछा करता रहता है। ऐसे में शास्त्रों में इस दिन जीवात्माओं को अत्यंत ही सावधानी बरतने वाला बताया गया है।
अगर अक्षय तृतीया पर असामाजिक कार्य करते हैं तो मां लक्ष्मी रूठ जाती हैं और निरंतर धन का अभाव सहन करना पड़ता है।
न करें नमक का सेवन
इस पावन तिथि का महत्व समझाते हुए माता पार्वती कहती हैं कि यदि कोई भी स्त्री यदि सभी प्रकार के सुखों को पाना चाहती है तो उसे यह व्रत करते हुए किसी भी प्रकार का सेंधा आदि व्रती नमक का सेवन नहीं करना चाहिए। महाराज दक्ष की पुत्री रोहिणी ने यही व्रत करके अपने पति चन्द्र की सबसे प्रिय रहीं। उन्होंने बिना नमक खाए यह व्रत किया था।
माता पार्वती ने बताई व्रत की महिमा
स्वयं माता पार्वती ने धर्मराज को समझाते हुए कहा है कि यही व्रत करके मै भगवान शिव के साथ आनंदित रहती हूं। ऐसे में कन्याओं को भी उत्तम पति की प्राप्ति के लिए यह व्रत पूरी श्रद्धा-भाव के साथ करना चाहिए। जिस महिला को अभी तक संतान सुख की प्राप्ति नहीं हो पाई है, उसे भी इस व्रत को करके माता के आशीर्वाद से इस सुख की प्राप्ति हो सकती है। देवी इंद्राणी ने इसी अक्षय तृतीया का व्रत करके जयंत नामक पुत्र प्राप्त किया था। इसी व्रत को करके देवी अरुंधती अपने पति महर्षि वशिष्ठ के साथ आकाश में सबसे ऊपर का स्थान प्राप्त कर सकी थीं।
इस विधि से करें पूजन
अक्षय पुण्य प्रदान करने वाली तृतीया के दिन जगतगुरु भगवान् नारायण की लक्ष्मी सहित गंध, चन्दन, अक्षत, पुष्प, धुप, दीप नैवैद्य आदि से पूजा करनी चाहिए। इस पावन दिन भगवान विष्णु को गंगा जल और अक्षत से स्नान कराने से मनुष्य को राजसूय यज्ञ के फल की प्राप्ति होती है और प्राणी सभी पापों से मुक्त हो जाता है।