साल 2016 : दिल्ली पर टिकी रहीं ममता की निगाहें
कोलकाता। पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस को जबर्दस्त जीत दिलाने वाली ममता बनर्जी वर्ष 2016 में सु्र्खियों में रहने वाली प्रमुख शख्सियत रहीं और नोटबंदी मुद्दे पर नरेन्द्र मोदी विरोधी मोर्चे की कतार में आगे खड़ी नजर आईं।
पूर्ववर्ती वाम मोर्चा के शासनकाल के दौरान टाटा मोटर्स की नैनो कार परियोजना के लिए किसानों की जमीन अधिग्रहण किए जाने को अवैध और अमान्य करार देते हुए उच्चतम न्यायालय ने किसानों को भूमि वापस करने का आदेश दिया। सर्वोच्च अदालत के इस फैसले को तृणमूल सरकार की जीत के रूप में देखा गया और ममता ने इसे अपनी पार्टी के लिए ऐतिहासिक जीत करार दिया।
इस साल निर्माणाधीन विवेकानंद रोड फ्लाईओवर का कुछ हिस्सा ध्वस्त होने से 20 से अधिक लोगों की मौत हो गई। इस घटना को लेकर राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप का दौर चला और ममता ने इसके लिए पूर्ववर्ती वाम मोर्चा सरकार को जिम्मेदार ठहराया।
विधानसभा चुनाव में कांग्रेस वाम मोर्चा गठबंधन ने नारद स्टिंग ऑपरेशन और सारदा घोटाला मुद्दे को जोर-शोर से उठाया लेकिन 294 सदस्यीय विधानसभा में तृणमूल ने 211 सीटों पर जीत दर्ज की।
भाजपा ने कांग्रेस और वाम गठबंधन का खेल बिगाड़ने का काम किया और इस गठबंधन को 76 सीटें मिलीं। भाजपा ने अपना खाता खोलते हुए 3 सीटों पर जीत दर्ज की। जीत का सिलसिला जारी रखते हुए तृणमूल ने राज्य में 2 लोकसभा और 1 विधानसभा सीट पर हुए उपचुनावों में जीत दर्ज की।
बंगाल में मुख्य विपक्षी पार्टियों को कमजोर करने के बाद ममता वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले राष्ट्रीय राजनीति में एक बड़ी भूमिका निभाने की ओर उन्मुख हुईं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के 8 नवंबर को 500 और 1,000 रुपए के नोट अमान्य करने के निर्णय का सबसे पहले ममता ने विरोध किया और इसे जनविरोधी तथा देश में आर्थिक आपातकाल करार दिया।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि नोटबंदी ने ममता को वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव के मद्देनजर राष्ट्रीय राजनीति में एक बड़ी भूमिका निभाने का मौका दे दिया। भाजपा के खिलाफ राष्ट्रव्यापी आंदोलन छेड़ने के लिए ममता ने केंद्र में केसरिया पार्टी के खिलाफ एकजुट होकर लड़ने का आह्वान किया और उन्हें राजग की सहयोगी शिवसेना तक का समर्थन मिला। अपनी मुहिम में ममता ने मतभेदों को ताक पर रखकर माकपा महासचिव सीताराम येचुरी से भी बातचीत की।
मोदी विरोधी मुहिम में कोई कसर न छोड़ते हुए ममता ने राज्य के कुछ टोल प्लाजा पर सैन्यकर्मियों की तैनाती को भी बड़ा मुद्दा बना दिया और इसे केंद्र की विद्रोह की कोशिश करार दिया जबकि सेना ने इसे नियमित अभियान बताया।
इस साल कांग्रेस और वाम दलों के कुछ नवनिर्वाचित विधायकों ने अपनी-अपनी पार्टी छोड़ दी और तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए जिनमें राज्य कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष मानस भुइयां भी शामिल हैं।
जानी-मानी लेखिका और सामाजिक कार्यकर्ता महाश्वेता देवी का इस साल 91 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। फॉरवर्ड ब्लॉक के जाने-माने दिग्गज अशोक घोष का भी इस साल 93 वर्ष की आयु में निधन हो गया। पाकिस्तान में 6ठी कक्षा के छात्र ने भाषण की चोरी के लिए राष्ट्रपति कार्यालय पर मुकदमा किया (भाषा)