रविवार, 29 सितम्बर 2024
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Written By WD

विपरीत नौकासन

Viprit Naukasan Yoga | Viprit Naukasan Vedio | Viprit Naukasan Pose | विपरीत नौकासन
नौकासन को पीठ के बल लेटकर किया जाता है, जबकि विपरीत नौकासन को पेट के बल। इसमें शरीर की आकृति नौका समान प्रतित होती है, इसीलिए इसे विपरीत नौकासन कहते है।

विधि : यह आसन भी पेट के बल लेटकर किया जाता है। पेट के बल पहले मकरासन में लेट जाएँ। फिर दोनों हाथों को सामने फैलाएँ और हथेलियों को एक-दूसरे से सटाते हुए भूमि पर टिकाएँ। पैर भी पीछे एक-दूसरे से मिले हुए तथा सीधें रहें। पंजे पीछे की ओर तने हुए हों।

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श्वास अन्दर भरकर हाथ और पैर दोनों ओर से शरीर को उपर उठाइए। पैर, छाती, सिर एवं हाथ भूमि से उपर उठे हुए होने चाहिए। इस अवस्था में शरीर का पूरा वजन नाभि पर आ जाता है। वापस आने के लिए धीरे-धीरे हाथ और पैरों को समानांतर क्रम में नीचे लाते हुए कपाल को भूमि पर लगाएँ। फिर पुन: मकरासन की स्थिति में आ जाएँ। इस प्रकार 4-5 बार यह आवृत्ति करें।

सावधानी : जिन लोगों को मेरुदंड और पेट संबंधी कोई गंभीर रोग हो वह यह आसन न करें। स्त्रियाँ यह आसन योचिकित्ससलाअनुसाकरें।

इसके लाभ : नाभि प्रदेश और मेरुदंड को शक्ति प्रदान करता है। गैस निकालता है। यौन रोग व दुरबलता दूर करता है। इससे पेट व कमर का मोटापा दूर होता है। नेत्र ज्योति में भी यह आसन लाभदायक माना गया है।