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अग्नि और अग्निशक्ति मुद्रा के लाभ जानकर चौंक जाएंगे

अग्नि और अग्निशक्ति मुद्रा के लाभ जानकर चौंक जाएंगे | agni mudra benefits in hindi
agni mudra
योग अनुसार आसन और प्राणायाम की स्थिति को मुद्रा कहा जाता है। बंध, क्रिया और मुद्रा में आसन और प्राणायाम दोनों का ही कार्य होता है। योग में मुद्राओं को आसन और प्राणायाम से भी बढ़कर माना जाता है। आसन से शरीर की हडि्डयां लचीली और मजबूत होती है जबकि मुद्राओं से शारीरिक और मानसिक शक्तियों का विकास होता है। मुद्राओं का संबंध शरीर के खुद काम करने वाले अंगों और स्नायुओं से है। इस बार पढ़िये अग्नि और अग्निशक्ति मुद्रा बनाने का तरीका और उसके लाभ।
 
दोनों ही मुद्रा को करने के पहले सुखासन में बैठ जाएं और श्‍वासों का आवागमन सामान्य रखें।
 
अग्नि मुद्रा विधि- अग्नि मुद्रा को दो तरीके से करना बताया जाता है।
 
1.अपने दोनों हाथों के अंगूठों को आपस में एकसाथ मिलाने से अग्निमुद्रा बनती है। इस स्थिति में हाथों की बाकी सारी अंगुलियां खुली होनी चाहिए।
 
2.एक दूसरा तरीका है कि सूर्य की अंगुली को मोड़कर उसे अंगुठे से दबाएं। बाकी बची अंगुलियों को सीधा रखें। इस मुद्रा का ज्यादा अभ्यास नहीं करना चाहिए क्योंकि इससे शरीर में गर्मी बढ़ती है।
 
अग्नि मुद्रा के लाभ- अग्नि मुद्रा को करने से जहां मोटापा नियंत्रित रहता है, वहीं इससे खांसी, बलगम, नजला, पुराना जुकाम, श्वांस रोग और निमोनिया रोग आदि रोग दूर हो जाते हैं तथा इससे शरीर में अग्नि की मात्रा तेज हो जाती है।
अग्निशक्ति मुद्रा विधि- इस मुद्रा को करने के भी अगल-अलग तरीके हैं।
 
1.अपने दोनों हाथों की अंगुलियों को हथेली से लगाने से और दोनों हाथों के अंगूठों को आपस में जोड़ने से अग्निशक्ति मुद्रा बनती है।
 
2.अपने दोनों हाथों को आगे करे और मुट्ठी बाध लें। मुट्ठी बांधने में अंगुठों को शामिल ना करें। बल्कि अंगुठों के उपरी पोरों को आपस में टच करें।
 
अग्निशक्ति मुद्रा के लाभ- अग्निशक्ति मुद्रा लो ब्लडप्रेशर और उसके कारण होने वाले सिर के दर्द तथा कमजोरी में बहुत लाभकारी है। इससे गले में जलन या पित्त संबंधी समस्या में भी लाभ मिलता है। इस मुद्रा को करने से जहां तनाव मिटता हैं वहीं श्वांस संबंधी रोग भी मिट जाते हैं।
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