• Webdunia Deals
  1. लाइफ स्‍टाइल
  2. नायिका
  3. महिला दिवस
  4. Woman's Day Poem
Written By WD

महिला दिवस पर कविता : उजली सुबह की धूप

Woman's Day
शैली बक्षी खड़कोतकर
 
स्त्री
स्त्री जाग गई है
स्त्री, बुहार रही हैं आंगन
फेंक देगी आज
बीती रात की चुभती किरचें 
टूटी उम्मीदों के नुकीलें टुकड़े
और अधूरे सपनों की रद्दी कतरनें
स्त्री धो रही हैं कपड़े
घिस-घिस कर साफ़ करेगी
कड़वाहट की धूसर ओढ़नी
मन पर चढ़ी मैल की परतें
और अतीत के पुराने बदरंग गिलाफ
 
स्त्री फूंक रही हैं चूल्हा
उपहास उपेक्षा के अंगारे सुलग उठे हैं
अपमान की तीखी आंच पर
 उबल रही हैं ताज़ा चाय
हवा में तैर रही हैं उमंग की महक
 
स्त्री संवार रही हैं खुद को
आशाओं के धुंधले दर्पण में
सुलझ रही हैं लटों में लिपटी उलझनें
कपोंलो पर हैं आस की रक्तिम आभा
और सुरमई आंखों में उतर आई
उजली सुबह की धूप....