Last Modified: जबलपुर ,
बुधवार, 4 अप्रैल 2012 (10:14 IST)
आमदनी अठन्नी खर्चा रुपइया
रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय में बिजली का बिल करारा करंट मार रहा है। विभागों में चलने वाले भारी-भरकम एयर कंडीशनर और कूलर ने प्रशासन की आर्थिक रुप से तंगहाल बना दिया है। शिक्षण संस्थानों की कुल आय का दोगुना विश्वविद्यालय महज बिजली का बिल चुकाने में खर्च कर रहा है।
जानकारी के अनुसार विश्वविद्यालय को 31 दिसंबर 2011 तक की स्थिति में 1,16,28,430 रुपए बिजली बिल के रूप में भुगतान करना पड़ा। वही उक्त अवधि के बीच विश्वविद्यालय के शिक्षण विभागों से विश्वविद्यालय की आय महज 51,75,226 रुपए हुई। आंकड़ों के हिसाब से लगभग दोगुना ज्यादा खर्च हुआ। ऐसा नही कि शिक्षण विभागों से ही बिजली की खपत अधिक है। इसमें छात्रावास, अधिकारियों, कर्मचारियों का आवास, अतिथि गृह, प्रशासनिक भवन, हेल्थ सेंटर की बिजली की खपत शामिल है।
300 मासिक भुगतान
रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय प्रशासन परिसर में रहने वाले कर्मचारियों से मासिक 300 रुपए बिजली का किराया वसूलता है। एक मुश्त राशि तय की गई है। जिसके बाद कई घरों में हीटर, पंखे-कूलर रात दिन चलते हैं। कुछ घरों में बिजली का व्यवसायिक कार्य के लिए भी खुलेतौर पर उपयोग किया जाता है। प्रशासन ने बिजली की बर्बादी को लेकर कोई गंभीर कदम नही उठाए है।
विभागों से ज्यादा बोझ
विश्वविद्यालय शिक्षण विभाग के लगभग 24 अलग-अलग विभाग हैं। बायोसाइंस, कैमेस्ट्री, फिजिक्स, एमआरसी, गणित तथा कम्प्यूटर विभाग में सबसे ज्यादा बिजली की खपत होती है। बताया जाता है कि विभागों में दिनभर भारी भरकम एसी, कूलर चलाए जाते है। इलेक्ट्रानिक उपकरण भी चलने के कारण बिजली की अधिक खपत होती है। जरुरत के अलावा भी मशीन, एसी,कूलर चलाकर छोड़ दिया जाते हैं। कई बार तो विभागों में कम्प्यूटर बिना काम के ही खुले पड़े रहते हैं, अध्यापक और कर्मचारी बिजली बचाने की जहमत तक नही उठाते।
बिजली बचाने प्रयास
वित्तीय वर्ष 2012-13 में करीब साढ़े 14 करोड़ रुपए घाटे का बजट पेश करने वाले विश्वविद्यालय प्रशासन को बचत की ओर ध्यान देना चाहिए। बिजली की बेफिजूल खर्च पर यदि लगाम लग जाए तो लाखों रुपए बचाए जा सकते हैं। पूर्व कुलपति प्रो.एसएम पॉल खुराना के कार्यकाल में प्रदेश सरकार के साथ विश्वविद्यालय के भीतर बिजली की बचत को लेकर मुहिम चलाई गई थी। जिसमें सभी विभागों में गैर जरुरत के समय एसी,कूलर और अन्य उपकरण नही चलाने की हिदायत दी गई थी। उस दौरान कुलपति खुद अपने कमरे में एसी बंद करके बैठा करते थे।