• Webdunia Deals
  1. समाचार
  2. मुख्य ख़बरें
  3. फैक्ट चेक
  4. does giloy damage liver, fact check
Written By
Last Updated : मंगलवार, 4 अक्टूबर 2022 (12:04 IST)

Fact Check: क्या वाकई लिवर को खराब कर रहा इम्यूनिटी बढ़ाने वाला गिलोय? आयुष मंत्रालय ने बताई सच्चाई

Fact Check: क्या वाकई लिवर को खराब कर रहा इम्यूनिटी बढ़ाने वाला गिलोय? आयुष मंत्रालय ने बताई सच्चाई - does giloy damage liver, fact check
कोरोना काल में इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए लाखों लोग गिलोय का सेवन कर रहे हैं। लेकिन हाल ही में कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया था कि मुंबई में पिछले साल सितंबर से दिसंबर के बीच गिलोय के सेवन से होने वाले लिवर डैमेज के करीब 6 मामले देखे गए थे। हालांकि, अब आयुष मंत्रालय ने इसपर कहा है कि गिलोय को लिवर डैमेज से जोड़ना पूरी तरह से भ्रम पैदा करने वाला है।

दरअसल, जर्नल ऑफ क्लिनिकल एंड एक्सपेरिमेंटल हेपाटोलॉजी पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन पर आधारित कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में लिखा गया है कि आमतौर पर गिलोय या गुडुची के रूप में जानी जाने वाली जड़ी बूटी टिनोस्पोरा कॉर्डिफोलिया (टीसी) के उपयोग से मुंबई में छह मरीजों में लिवर फेलियर का मामला देखने को मिला।

इसपर आयुष मंत्रालय ने एक प्रेस रिलीज जारी करते हुए कहा कि गिलोय जैसी जड़ी-बूटी पर इस तरह की जहरीली प्रकृति का लेबल लगाने से पहले, लेखकों को मानक दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए पौधों की सही पहचान करने की कोशिश करनी चाहिए थी, जो उन्होंने नहीं की।

प्रेस रिलीज में लिखा है, ‘मंत्रालय को लगता है कि अध्ययन के लेखक मामलों के सभी आवश्यक विवरणों को व्यवस्थित प्रारूप में रखने में विफल रहे। इसके अलावा, गिलोय को लिवर की क्षति से जोड़ना भारत की पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली के लिए भ्रामक और विनाशकारी होगा, क्योंकि आयुर्वेद में जड़ी-बूटी गुडुची या गिलोय का उपयोग लंबे समय से किया जा रहा है। विभिन्न विकृतियों को ठीक करने में टीसी की प्रभावकारिता जांची-परखी है।’

बयान में आगे कहा गया, ‘अध्ययन का विश्लेषण करने के बाद, यह भी देखा गया कि अध्ययन के लेखकों ने जड़ी-बूटी की सामग्री का विश्लेषण नहीं किया है जिसका रोगियों द्वारा सेवन किया गया था। यह सुनिश्चित करना लेखकों की जिम्मेदारी बन जाती है कि रोगियों द्वारा उपयोग की जाने वाली जड़ी-बूटी गिलोय है न कि कोई अन्य जड़ी-बूटी। वास्तव में, ऐसे कई अध्ययन हैं, जो बताते हैं कि जड़ी-बूटी की सही पहचान न करने से गलत परिणाम हो सकते हैं। एक समान दिखने वाली जड़ी-बूटी टिनोस्पोरो क्रिस्पा का लिवर पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।’

मंत्रालय का कहना है कि अध्ययन में रोगियों के पिछले या वर्तमान मेडिकल रिकॉर्ड को ध्यान में नहीं रखा गया है। ऐसे में अधूरी जानकारी पर आधारित प्रकाशन गलत सूचना के द्वार खोलेंगे और आयुर्वेद की सदियों पुरानी प्रथाओं को बदनाम करेंगे।

आयुष मंत्रालय ने आगे बताया कि गिलोय और इसके सुरक्षित उपयोग पर सैकड़ों अध्ययन हैं। गिलोय आयुर्वेद में सबसे अधिक निर्धारित दवाओं में से एक है। किसी भी क्लीनिकल स्टडी में इसके इस्तेमाल से कोई भी प्रतिकूल घटना नहीं देखी गई है।