योगी सरकार ने अनाथ बच्चों के लिए खोला खजाना, हर माह मिलेगी 2500 रुपए की आर्थिक सहायता
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में कोविड-19 के चलते अनाथ हुए बच्चों के बाद राज्य सरकार ने ऐसे बच्चों को भी प्रतिमाह 2500 रुपये की आर्थिक सहायता देने का फैसला किया है जो किसी भी कारण से माता-पिता या अभिभावक खो चुके हैं। मंत्रिपरिषद ने सोमवार को सरकार के इस प्रस्ताव को अनुमोदित किया।
मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना (सामान्य) के अन्तर्गत आर्थिक सहयोग प्रदान करने के प्रस्ताव को अनुमोदित किया। इसके तहत 18 वर्ष से कम आयु के जिन बच्चों ने कोविड-19 से भिन्न अन्य कारणों से अपने माता-पिता दोनों अथवा दोनों में से किसी एक अथवा अभिभावक को खो दिया है, उन्हें आर्थिक सहायता प्रदान की जाएगी।
राज्य सरकार ऐसे बच्चों को 'उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना (सामान्य)' के अंतर्गत 2500 रुपए की आर्थिक सहायता प्रदान करेगी। इस योजना के अन्तर्गत पात्रता की श्रेणी में आने वाले परिवार के अधिकतम 2 बच्चों को प्रतिमाह प्रति बालक/बालिका 2500 रुपए की सहायता धनराशि प्रदान की जाएगी। यह योजना शत-प्रतिशत राज्य सरकार द्वारा वित्त पोषित है।
सरकार ने तय किया है कि जिन बच्चों की माता तलाकशुदा या परित्यक्ता है अथवा जिन बच्चों के माता-पिता या परिवार का मुख्यकर्ता जेल में है, या जो बच्चे बाल श्रम, बाल भिक्षावृत्ति/बाल वेश्यावृत्ति से मुक्त कराकर परिवार/पारिवारिक वातावरण में समायोजित कराये गये हों उन्हें तथा भिक्षावृत्ति/वेश्यावृत्ति में सम्मिलित परिवारों के बच्चों को भी आर्थिक सहायता प्रदान की जाएगी।
सरकार के अनुसार अठारह से 23 वर्ष तक जिन नवयुवकों ने अपने माता-पिता या अभिभावक को कोविड या अन्य कारणों से खो दिया है और 12 वीं कक्षा तक की शिक्षा पूरी करने के बाद स्नातक की डिग्री या डिप्लोमा प्राप्त करने के लिए शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं, उन्हें भी इसका लाभ मिलेगा। कक्षा 12 तक शिक्षा पूर्ण करने के उपरान्त नीट, जेईई, क्लैट जैसे राष्ट्रीय एवं राज्य स्तरीय प्रतियोगी परीक्षा उत्तीर्ण करने पर भी सहायता दी जाएगी। इस योजना का लाभ एक परिवार के अधिकतम दो बच्चों को मिल सकेगा।
सरकारी फैसले के मुताबक 18 वर्ष की आयु पूरी करने के उपरान्त कक्षा 12 तक शिक्षा पूर्ण करने के बाद भी राजकीय महाविद्यालय, विश्वविद्यालय अथवा तकनीकी संस्थान से स्नातक डिग्री अथवा डिप्लोमा प्राप्त करने एवं राष्ट्रीय एवं राज्य स्तरीय प्रतियोगी परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले मेधावी छात्रों को 23 वर्ष की आयु तक या स्नातक शिक्षा अथवा मान्यता प्राप्त तकनीकी संस्थान से डिप्लोमा प्राप्त करने तक, जो भी पहले हो, इस योजना के अंतर्गत लाभ दिया जायेगा।
मंत्रिपरिषद ने योजना के क्रियान्वयन में आने वाली व्यावहारिक कठिनाइयों के मद्देनजर उसमें आवश्यक संशोधन एवं परिवर्तन के लिए मुख्यमंत्री को अधिकार दिया है।
ज्ञातव्य है कि कोविड-19 के कारण अनाथ हुए बच्चों को आर्थिक सहायता प्रदान किए जाने के संबंध में उप्र मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना का संचालन किया जा रहा है।