मैं ज़िंदगी की दुआ माँगने लगा हूँ
इफ्तिख़ार आरिफ़मेरे ख़ुदा, मुझे इतना तो मोअतबर1 कर दे।मैं जिस मकान में रहता हूँ, उसको घर कर दे।।ये रोशनी के तआकुब2 में, भागता हुआ दिन,जो थक गया है, तो अब उसको मुख़्तसर कर दे।।मैं ज़िंदगी की दुआ माँगने लगा हूँ बहुत,जो हो सके तो दुआओं को बेअसर कर दे।।सिताराए-सहरी3 डूबने को आया है,ज़रा कोई मेरे सूरज को बाख़बर कर दे।।क़बीलावार4 कमानें कड़कने वाली हैं। मेरे लहू की गवाही, मुझे निडर कर दे।मैं अपने ख़्वाब से कट कर जियूँ तो मेरे ख़ुदा,उजाड़ दे मेरी मिट्टी को, दर-बदर कर दे।।मेरी ज़मीन, मेरा आख़िरी हवाला है,सो मैं रहूँ, न रहूँ, इसको बार वर कर दे।।1.
प्रतिष्ठापित 2. पीछे-पीछे 3. सुबह का तारा 4. अलग-अलग समुदाय अनुसार