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Written By WD

नज़्म : 'वतन के पासबाँ'

नज़्म : ''वतन के पासबाँ'' -
शायर : रेहबर जोनपुर

WDWD
परचम-ए-वतन की शान=इस ज़मीं की आन-बान
एक क़ालिब एक जान=एकता के राज़दान
तुझसे है वतन की शान=ऎ वतन के पासबान

तूने उठ के देश की=जगमगा दी ज़िन्दगी
अब उठेगी क्या इधर=चश्मे दुश्मनाँ कभी
है अदू का रंग फ़क़=मिल गया उसे सबक़
तोबा जोश-ओ-बेख़तर=अपना सीना तान कर
मुल्क-ओ-क़ौम के लिए=डट गया महाज़ पर
तूने देदी अपनी जान=तुझसे है वतन की शान
ऎ वतन के पासबान

भूक है न दर्द है=रू-ए-क़हत ज़र्द है
बो के खेत में अनाज=तूने लेलिया खिराज
ताजदार-ए-मुक-ओ-क़ौम=ऎतबार-ए-तख़्त-ओ-ताज
ऎ मुहाफ़िज़-ए-वतन=किस क़दर है तू महान
तुझसे है वतन की शान=ऎ वतन के पासबान

वो अलम की शब कहाँ=तीरगी वो अब कहाँ
सुबहेनौ का है ज़हूर=हर तरफ़ है एक नूर
रक़्स में है सरख़ुशी=शादमाँ है हर कोई
हुस्न है बहार है=कैफ़ है ख़ुमार है
कोह-ओ-दश्त हैं जवाँ=मौज-ए-गंग है रवाँ
बाग़ लहलहा उठे=खेत मुस्कुरा उठे

गुल खिले चमन चमन=बुलबुलें है नग्माज़न
मेहवे जलवा है नज़र=शाम बन गई सहर
तेज़तर हैं सिनअतें=हैं शबाब पर मिलें
खेत में है तो किसान=जंग में है तो जवान
तुझसे है वतन की शान= ऎ वतन के पासबान