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Written By WD
Last Modified: मंगलवार, 8 जुलाई 2008 (16:31 IST)

नज़्म : निदा फ़ाज़ली

नज़्म : निदा फ़ाज़ली -
उठ के कपड़े बदल
घर से बाहर निकल
जो हुआ सो हुआ॥

Aziz AnsariWD
जब तलक साँस है
भूख है प्यास है
ये ही इतिहास है
रख के कांधे पे हल
खेत की ओर चल
जो हुआ सो हुआ॥

  मंदिरों में भजन मस्ज़िदों में अज़ाँ आदमी है कहाँ आदमी के लिए      
खून से तर-ब-तर
कर के हर राहगुज़र
थक चुके जानवर
लड़कियों की तरह
फिर से चूल्हे में जल
जो हुआ सो हुआ॥

जो मरा क्यों मरा
जो जला क्यों जला
जो लुटा क्यों लुटा
मुद्दतों से हैं गुम
इन सवालों के हल
जो हुआ सो हुआ॥

मंदिरों में भजन
मस्ज़िदों में अज़ाँ
आदमी है कहाँ
आदमी के लिए
एक ताज़ा ग़ज़ल
जो हुआ सो हुआ।।
प्रस्तुति : अज़ीज़ अंसारी