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Written By WD
Last Modified: बुधवार, 23 जुलाई 2008 (10:59 IST)

नज़्म : 'नया आशिक़'

नज़्म : ''नया आशिक़'' -
शायर-दिलावर फ़िगार

नस्ल-ए-नौ का दौर आया है नए आशिक़ बने
अब सिवंय्यों की जगह चलने लगे छोले चने

शेवा-ए-उश्शाक़ अब बाज़ीगरी बनने लगा
इश्क़ जो इक आर्ट था इंडस्ट्री बनने लगा

इनके बच्चे भी करेंगे दौर-ए-मुस्त्क़्बिल में इश्क़
मुखतलिफ़ सूरत से पैदा होगा इन के दिल में इश्क़

इश्क़ कम्प्यूटर से पूछेगा मुझे ये तो बता
क्या है मेरी बीलवड का नाम और घर का पता

उसको कम्प्यूटर से मिल जाएगा फ़ौरन ये जवाब
तेरी मेहबूबा फ़लाँ लड़की है करले इंतिखाब

हुस्न कम्प्यूटर से पूछेगा मुझे भी तो बता
मेरा शोहर कौन होगा उसका नाम उसका पता

ठीक उसी वक़्त इक सदा आएगी कम्प्यूटर से यूँ
जैसे वो कहता हो इस खिदमत को मैं तय्यार हूँ