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Last Modified: रविवार, 28 नवंबर 2021 (13:54 IST)

UP में BSP के किले में पड़ने लगी दरार, कौन है जिम्मेदार...

UP में BSP के किले में पड़ने लगी दरार, कौन है जिम्मेदार... - BSP's fort started cracking in UP, who is responsible
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के 2022 के विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहे हैं वैसे-वैसे पार्टियों में भी उठापटक का दौर जारी है जिसके चलते कई नताओं ने तो भाग्य आजमाने के लिए वर्षों से जुड़े दल को अलविदा कहते हुए अन्य दलों का दामन थामना शुरू कर दिया है लेकिन सबसे ज्यादा नुकसान अगर किसी का हुआ है तो वह उत्तर प्रदेश की बहुजन समाज पार्टी है जिसमें बिखराव का दौर अभी भी जारी है।

बहुजन समाज पार्टी अपने कद्दावर नेताओं को पार्टी में रोकने में नाकामयाब साबित हो रही है जिसके चलते बहुजन समाज पार्टी को छोड़कर उन्हीं की पार्टी के वरिष्ठ नेता या तो समाजवादी पार्टी का दामन थाम चुके हैं या फिर भारतीय जनता पार्टी का।

कई नेता तो बहुजन समाज पार्टी के ऐसे हैं जिन्होंने कांग्रेस का दामन थाम बहुजन समाज पार्टी पर हमला बोलना भी शुरू कर दिया है।सबसे बड़ा सवाल ये उठता है कि बहुजन समाज पार्टी के नेताओं को किसकी नजर लग गई कि बहुजन समाज पार्टी के वोट बैंक में भी दिन-प्रतिदिन गिरावट आने लगी।

जिसके चलते बहुजन समाज पार्टी के कर्मठ नेता अपनी पार्टी को अलविदा कहने लगे। ऐसे बहुत से सवाल हैं जिनका जवाब बहुजन समाज पार्टी के पास नहीं है लेकिन हालात इस कदर बिगड़ रहे हैं कि बहुजन समाज पार्टी के वोट बैंक में भी कई चुनाव में बिखराव देखा गया है।

लेकिन इस बार दल के बिखराव के बाद बहुजन समाज पार्टी के वोट बैंक में अगर बिखराव होता है तो बहुजन समाज पार्टी का वोट बैंक किस तरफ झुक सकता है। ऐसे कई सवाल हैं जिन्हें जानने के लिए कई राजनीतिक जानकार और वरिष्ठ पत्रकारों से 'वेबदु‍निया' ने बातचीत की। किसने क्या कहा, आइए जानते हैं...

क्या बोले जानकार : वरिष्ठ पत्रकार राजेश श्रीवास्तव व अतुल कुमार बताते हैं कि 3 विधानसभा चुनाव के आंकड़े पर नजर डालें तो बहुजन समाज पार्टी के लिए बेहद खतरे की घंटी है अपने अस्तित्व को बनाए रखने की। तीन बार के चुनाव में सबसे ज्यादा गिरावट वोट बैंक में दिखी नहीं तो वह बहुजन समाज पार्टी थी क्योंकि उत्तर प्रदेश की राजनीति बहुजन समाज पार्टी, समाजवादी पार्टी व भारतीय जनता पार्टी के बीच आ गई है।

कांग्रेस तो अभी भी अपने जनाधार की तलाश में जुटी है लेकिन बहुजन समाज पार्टी के साथ अच्छा खासा वोट बैंक भी था और दिग्गज नेता भी थे लेकिन पार्टी की कुछ नीतियां ऐसी थीं, जो उनके वरिष्ठ नेताओं के द्वारा तैयार की जा रही नीतियों के विरुद्ध थीं जिसके चलते पार्टी के अंदर विघटन का दौर चालू हुआ और फिर एक-एक कर बहुजन समाज पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने पार्टी को अलविदा कह दिया।

यही हाल 2022 के चुनाव आने के पहले भी देखने को मिल रहा है, बिना कुछ कहे, पार्टी पर बिना कोई सवाल खड़ा किए कई दिग्गज नेता बहुजन समाज पार्टी को अलविदा कह चुके हैं। तीन बार के चुनाव के आंकड़े बताते हैं, जब-जब पार्टी के दिग्गज नेताओं ने पार्टी को अलविदा कहा तब-तब पार्टी के वोट बैंक में भी गिरावट देखने को मिली है, जिसका खामियाजा पार्टी को उठाना पड़ा है।

उसके बावजूद भी 2022 के चुनाव से पूर्व पार्टी के अंदर मची भगदड़ में खतरे की घंटी बजा दी है ऐसे में समय रहते बहुजन समाज पार्टी ने कोई रणनीति नहीं अपनाई तो इस बार भी पार्टी के कोर वोट बैंक में गिरावट देखने को मिलेगी।

रहा सवाल बहुजन समाज पार्टी का वोट बैंक किस तरह झुकेगा, यह तो आने वाला समय तय करेगा लेकिन यह मान लीजिए कि बहुजन समाज पार्टी के अंदर मची भगदड़ का सबसे ज्यादा फायदा अगर किसी पार्टी को मिलेगा तो वह समाजवादी पार्टी होगी क्योंकि समाजवादी पार्टी के मुस्लिम वोट बैंक में बहुजन समाज पार्टी ही सेंधमारी कर देती थी, ऐसी स्थिति में समाजवादी पार्टी अपने मुस्लिम वोट बैंक को और मजबूत करने में कामयाब रहेगी।

अगर पार्टी के दलित वोट बैंक की बात करें तो 2017 के चुनाव में यह वोट बैंक भारतीय जनता पार्टी की तरफ झुक गया था जिसका नुकसान बहुजन समाज पार्टी को हुआ था लेकिन आज की स्थिति में अगर दलित वोट बैंक ने बहुजन समाज पार्टी का साथ छोड़ा तो सबसे अधिक फायदा कांग्रेस को मिलने वाला है।

क्योंकि कई दलित नेताओं की मानें तो आज भी वह बहुजन समाज पार्टी के बाद कांग्रेस को ही अपना दल मानते हैं। समय तय करेगा कि बहुजन समाज पार्टी के अंदर मची आपसी खींचतान का सबसे ज्यादा फायदा किस पार्टी को मिलने वाला है।

ये हैं चुनावी आंकड़े : उत्तर प्रदेश के पिछले 3 चुनाव के आंकड़ों पर अगर नजर डालें तो बहुजन समाज पार्टी का वोट प्रतिशत दिन-प्रतिदिन बढ़ता ही चला गया है। अगर 2007 के आंकड़ों पर नजर डालें तो 2007 में जब उत्तर प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी की सरकार बनी थी तब पार्टी को 30.43 फीसदी वोट मिले थे। 2012 में न सिर्फ बहुजन समाज पार्टी हारी बल्कि उसका वोट शेयर घटकर 25.95 फीसदी रह गया।

2017 में तो बहुजन समाज पार्टी की हालत और पतली हो गई। बहुजन समाज पार्टी को महज 22.23 फीसदी ही वोट मिले। इन आंकड़ों के अनुसार, बहुजन समाज पार्टी में ये गिरावट इन्हीं सालों में 8 फीसदी रही। जाहिर है कि बहुजन समाज पार्टी की जमीन लगातार दरकती जा रही है। एक-एक करके उसके सभी बड़े नेता पार्टी छोड़ते गए। 
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