बुधवार, 18 दिसंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. धर्म-संसार
  2. व्रत-त्योहार
  3. तीज पर्व
  4. Hariyali Teej tradition
Written By WD Feature Desk

Hariyali teej 2024: हरियाली तीज पर होने वाली परंपरा को जानें

Hariyali teej 2024: हरियाली तीज पर होने वाली परंपरा को जानें - Hariyali Teej tradition
hariyali teej festival 
 
Highlights
 
हरियाली तीज कब है 2024 में।
हरियाली तीज मथुरा और ब्रज का विश्व प्रसिद्ध पर्व है। 
Hariyali Teej : हिन्दू धर्मशास्त्रों के अनुसार हर साल श्रावण के महीने में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि पर हरियाली तीज का पर्व मनाया जाता है। प्रकृति की दृष्टि से भी हरियाली तीज का त्योहार महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि वर्षा ऋतु के आते ही खेतों में धान सहित अन्य खरीफ फसलों की बुआई शुरू हो जाती है। वर्ष 2024 में हरियाली तीज पर्व 07 अगस्त, दिन बुधवार को मनाया जा रहा है।

आइए जानें हरियाली तीज की परंपरा के बारे में....
 
झूले, श्रृंगार और लहरिया का पर्व : तीज पर होने वाली परंपरा के अनुसार इस दिन जगह-जगह झूले पड़ते हैं। इस अवसर पर सभी समुदायों में हर्षोल्लास व्याप्त रहता है। इस त्योहार पर महिलाएं मेंहदी लगाती हैं, श्रृंगार करती हैं, हरा लहरिया, चुनरी पहनकर गीत गाती हैं, झूला झूलती हैं और नाचती हैं...।
 
प्रतिवर्ष मनाई जाने वाली इस तीज को छोटी तीज, श्रावणी तीज, सिंघारा तीज, मधुश्रवा तृतीया आदि नामों से भी जाना जाता हैं। हिन्दू समाजवासियों में कुछ खास प्रिंट्‍स और रंगों को उजले भाग्य का प्रतीक माना जाता है। जब धरती पर चारों ओर हरियाली छा जाती है तो महिलाएं भी हरे रंग के वस्त्र और चूड़ियां पहनकर लोकगीत गाते हुए सावन के महीने का स्वागत करती हैं। 

 
श्रृंगार और मेहंदी का पर्व : देश के विभिन्न प्रांतों में इस दिन महिलाएं और युवतियां, बालिकाएं हाथों में मेहंदी लगाकर झूला झूलते हुए अपनी खुशी प्रकट करती हैं। कुल मिलाकर हरियाली तीज पर्व झूला, मेहंदी, 16 श्रृंगार और लहरिया का त्योहार है और ही सब चीजें इस पर्व को और भी अधिक खास बनाती है। हरियाली तीज के दिन प्रत्येक स्त्री रंगबिरंगी लहरिया की साड़ियां पहने ही सब तरफ दिखाई पड़ती हैं।
 
पौराणिक परंपरा कथा में : हरियाली तीज ही एक ऐसा विशेष अवसर है, जब साल में सिर्फ एक बार वृंदावन में श्रीबांकेबिहारी जी को स्वर्ण-रजत हिंडोले में बिठाया जाता है। श्रीबांके बिहारी जी के दर्शन तथा उनकी एक झलक पाने के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ती है। इस संबंध में प्रचलित कथा के अनुसार इसी दिन राधारानी अपनी ससुराल नंदगांव से बरसाने आती हैं। 
 
हरियाली तीज मथुरा और ब्रज का विश्व प्रसिद्ध पर्व है तथा यह हर समुदाय के लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बना रहता है। और हरियाली तीज से ही यहां के सभी मंदिरों में होने वाला झूलन उत्सव भी आरंभ हो जाता है, जो कार्तिक पूर्णिमा पर संपन्न होता है। 
 
लोकगीत का पर्व : हरियाली तीज के दिन झूले पर ठाकुर जी के साथ श्री राधारानी का विग्रह स्थापित किया जाता है तथा बारिश के दिनों में मनोहारी प्राकृतिक दृश्यों के माध्यम से सावन चारों ओर अपनी उपस्थिति दर्ज कराता है। अत: महिलाएं सज-धजकर प्रकृति के इस सुंदर रूप का स्वागत करती हैं तथा मेहंदी से हाथ रचा कर झूले झूलते हुए- 
'गोरे कंचन गात पर अंगिया रंग अनार।
लैंगो सोहे लचकतो, लहरियो लफ्फादार।।'

आदि लोकगीत गाती है तथा इस पर्व को बहुत ही हर्षोल्लासपूर्वक मनाती हैं। 
 
कुछ खास जगहों पर तीज की परंपरा : तीज पर्व का सबसे मीठा उल्लास राजस्थान, उत्तर प्रदेश और पंजाब में दिखाई देता है, क्योंकि राजस्थान हमेशा से ही तीज-त्योहार, रंगबिरंगे परिधान, उत्सव और लोकगीत तथा रीति-रिवाजों के लिए अधिक प्रसिद्ध है। राजस्थान के लिए तो तीज का पर्व एक अलग ही उमंग लेकर आता है, जब महीनों से तपती मरुभूमि में वर्षा ऋतु में रिमझिम करता सावन बरसता है, तो यह समय भी निश्चित ही किसी उत्सव से कम नहीं होता है। 
 
नवविवाहितों का सबसे खास त्योहार : श्रावण तीज के एक दिन पहले यानी द्वितीया तिथि को नवविवाहित महिलाओं के माता-पिता यानि मायके से अपनी पुत्रियों के घर/ ससुराल में सिंजारा भेजते हैं। विवाहित पुत्रियों के लिए भेजे गए उपहारों को सिंजारा कहते हैं, जो कि उस महिला के सुहाग का प्रतीक होता है। इसमें मेहंदी, सिन्दूर, चूड़ी, बिंदी, घेवर, लहरिया साड़ी, मिठाई आदि वस्तुएं सिंजारे के रूप में भेजी जाती हैं। जबकि कुछ लोग ससुराल से मायके भेजी बहु को सिंजारा भेजते हैं। 
 
सिंजारे के इन उपहारों को अपने पीहर से लेकर, विवाहिता स्त्री उन उपहारों से खुद को सजाती है, मेहंदी लगाती है, तरह-तरह के आभूषण पहनती हैं तथा लहरिया साड़ी पहनती है और तीज के पर्व का अपने पति और ससुराल वालों के साथ खूब हर्ष से इस त्योहार को मनाती है। इस दिन झूले झूलने का भी अधिक महत्व माना गया है। 
 
मिठाई का पर्व : घेवर विशेष रूप से तीज के इस त्योहार पर बनाई और खाई जाने वाली खास मिठाई है और जयपुर का घेवर तो विश्व प्रसिद्ध है। इसके साथ ही खीर, बर्फी, लड्‍डू और केसरिया भात के साथ-साथ कई नमकीन व्यंजन बनाकर यह त्योहार मनाया जाता है। 
 
अस्वीकरण (Disclaimer) : चिकित्सा, स्वास्थ्य संबंधी नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष, इतिहास, पुराण आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं, जो विभिन्न सोर्स से लिए जाते हैं। इनसे संबंधित सत्यता की पुष्टि वेबदुनिया नहीं करता है। सेहत या ज्योतिष संबंधी किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें। इस कंटेंट को जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है जिसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।
ये भी पढ़ें
Mahabharat : महाभारत के युद्ध में कैसे बनता था योद्धाओं के लिए प्रतिदिन खाना, कम नहीं पड़ता था एक भी दाना