0
स्कूल, टीचर और टीचर्स डे
शनिवार,जनवरी 12, 2008
0
1
ND|
शनिवार,जनवरी 12, 2008
शिक्षक की बनाई मूर्ति न पत्थर की होगी, न टेरेकोटा की, न सिरेमिक्स की, न लकड़ी आदि की। उसकी मूर्ति तो जीवन की मूर्ति होगी, ठीक जीवन की तरह गतिशील, भावनामय, संभावनाओं से जुड़ी, काम यानी कर्म और कामना से युक्त, तब जाकर...
1
2
WD|
शनिवार,जनवरी 12, 2008
खलीफा मामू ने अपने शहजादों की तालीम के लिए एक काबिल उस्ताद को लगाया। उस्ताद रोज आकर शहजादों को पढ़ाने-लिखाने लगे। उनके पढ़ाने के तरीके से शहजादे उनकी सिखाई बातों को जल्दी ही सीख जाते थे। धीरे-धीरे शहजादों के मन में उस्ताद के लिए इज्जत
2
3
ND|
शनिवार,जनवरी 12, 2008
बच्चा असीम विश्वास के साथ शिक्षक के पास आता है, यदि शिक्षक उसकी अभिलाषा को अनदेखा करता है तो इसका आशय यही होगा कि शिक्षक अपने छात्रों के वर्तमान और भविष्य के प्रति एक नैतिक उल्लास और दायित्व से रिक्त है।
3
4
WD|
शनिवार,जनवरी 12, 2008
'अध्यापक राष्ट्र की संस्कृति के चतुर माली होते हैं। वे संस्कारों की जड़ों में खाद देते हैं और अपने श्रम से उन्हें सींचकर शक्ति में निर्मित करते हैं।' महर्षि अरविंद का उक्त कथन शिक्षक की गरिमा के सर्वथा अनुकूल ही है।
4
5
ND|
शनिवार,जनवरी 12, 2008
डॉ. राधाकृष्णन अपनी बुद्धिमतापूर्ण व्याख्याओं, आनंददायी अभिव्यक्ति और हँसाने, गुदगुदाने वाली कहानियों से अपने छात्रों को मंत्रमुग्ध कर दिया करते थे। वे छात्रों को प्रेरित करते थे कि वे उच्च नैतिक मूल्यों को अपने आचरण में उतारें
5
6
शिष्य ऐसा था जो हर तथ्य को वास्तविकता की कसौटी पर कसने के लिए अपने गुरु से कौतुहल की पराकाष्ठा तक वाद-विवाद करता था। वहीं गुरु भी कुछ ऐसे थे, जिन्होंने हमेशा ही धैर्य व प्रेम से अपनेशिष्य के हर प्रश्न का, हर जिज्ञासा का निवारण
6
7
WD|
सोमवार,दिसंबर 24, 2007
शिक्षक जो एक
माली की तरह पौधे को सींचता है...
7
8
WD|
सोमवार,दिसंबर 24, 2007
अध्यापन लुप्त विधा नहीं है, लेकिन यह लुप्तप्राय परंपरा हो गई है- जैकस बारजन
अच्छे शिक्षक अनमोल होते हैं, लेकिन बुरे शिक्षकों की कीमत बहुत होती है- बॉब टेलबर्ट
ज्ञान अपने चिह् छोड़ जाता है, जिसमें एक से दूसरे का विकास होता है
8
9
अनजाने बोझ से दबने लगता है। स्कूल छोड़े तो एक अरसा हो गया, लेकिन आज भी वो यादें जेहन में ताजा हैं, क्योंकि जिस बेफिक्री की मैं बात कर रही हूँ, वो मेरे हिस्से कभी नहीं आई
9
10
WD|
सोमवार,दिसंबर 24, 2007
अर्जुन की एकाग्रता, एकलव्य का त्याग, आरुणी की गुरु-भक्ति भले ही किस्से-कहानियाँ और पौराणिक कथाएँ बनकर रह गई हों, लेकिन आज भी उनकी मिसालें छात्रों के सामने रखी जाती हैं
10
11
ND|
सोमवार,दिसंबर 24, 2007
वे एक प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय में स्नातकोत्तर स्तर के व्यावसायिक पाठ्यक्रम की विभागाध्यक्षा हैं। 30 साल के करियर में लोग
11
12
WD|
सोमवार,दिसंबर 24, 2007
'यदि दुनिया में आए हैं और किसी भगोड़े के बदले सहज रूप से रहना चाहते हैं तो अध्यात्म से बहुत गहरे जुड़ना होगा। विचार तर्कसंगत रखने होंगे, क्रियाओं को लाभप्रद रखना होगा और समाज में उन संस्थाओं को बनाना होगा, जो उसके शुभ को अक्षुण्ण रखें।'
12
13
शिक्षक अपने विद्यार्थियों को अज्ञान के अँधेरे से ज्ञान के उजालों की ओर ले जाता है। शिक्षक दिवस के अवसर पर हम रुबरू हुए एक ऐसे शिक्षक से जिनके अपने जीवन से रोशनी भले ही मुँह फेर चुकी हो, पर वे अपने सैकड़ों छात्रों के जीवन में प्रकाश...
13
14
समय के साथ-साथ छात्रों का आभार प्रकट करने का तरीका बदल गया है लेकिन मूल भावना आज भी वैसी ही है, जैसी पहले हुआ करती थी। मैंने महसूस किया है कि अक्सर स्कूल या कॉलेज...
14