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Written By WD Sports Desk
Last Updated : शुक्रवार, 16 अगस्त 2024 (19:19 IST)

3 महीने खुद को गोलकीपर से ऐसे कोच की भूमिका में ढालेंगे PR श्रीजेश

खिलाड़ी से कोच बनने के लिये मानसिक रूप से तैयारी करनी होगी : श्रीजेश

3 महीने खुद को गोलकीपर से ऐसे कोच की भूमिका में ढालेंगे PR श्रीजेश - PR Shreejesh to go under mental overhaul to take up coaching role
भारतीय हॉकी के महान गोलकीपर पी आर श्रीजेश को यहां पहुंचने पर भव्य स्वागत किया गया। उन्होंने कहा कि अगले दो तीन महीने पर खिलाड़ी से कोच बनने के लिये खुद को तैयार करने पर बितायेंगे।यहां उनके स्वागत में हवाई अड्डे से पालारिवत्तोम तक रोडशो किया गया।

श्रीजेश ने हवाई अड्डे के बाहर पत्रकारों से कहा ,‘‘ देश के लिये कड़ी मेहनत करके, कई कुर्बानियां देकर पदक जीता और यह सिर्फ मेरा नहीं बल्कि देश का पदक है। इस खुशी का हिस्सा बनना सोने पे सुहागे जैसा है। खुशी दुगुनी हो गई है।’’

उन्होंने कहा ,‘‘ अब मुझे एक खिलाड़ी से एक कोच बनना है। इसके लिये मानसिक रूप से तैयारी करनी होगी। अगले दो तीन महीने वही करूंगा।’’

यहां पहुंचने पर श्रीजेश के स्वागत के लिये काफी भीड़ जमा थी जिनमें कई विधायक भी थे। लोगों ने हाथ में श्रीजेश की तस्वीर वाले प्लेकार्ड ले रखे थे। रोडशो के दौरान खुली जीप में श्रीजेश ने लोगों का अभिवादन स्वीकार किया। उन्हें फूल, गुलदस्ते भेंट किये गए और लोगों में उनसे हाथ मिलाने की होड़ लगी थी।श्रीजेश ने पेरिस ओलंपिक में कांस्य पदक जीतने के बाद हॉकी को अलविदा कह दिया। अब वह जूनियर टीम के कोच होंगे।
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लगातार ओलंपिक पदक जीतने के लिये फील्ड गोल अधिक करने होंगे : श्रीजेश

भारतीय हॉकी टीम में अगर कोई एक बदलाव पी आर श्रीजेश देखना चाहते हैं तो वह गोल के लिये पेनल्टी कॉर्नर पर निर्भरता कम करना होगा और उनका मानना है कि हर बार ओलंपिक पदक जीतने के लिये टीम को अधिक फील्ड गोल करने होंगे।भारत ने पेरिस ओलंपिक में लगातार दूसरा ओलंपिक कांस्य पदक जीतने के अपने सफर में 15 गोल किये और 12 गंवाये। इन 15 गोल में से नौ पेनल्टी कॉर्नर पर , तीन पेनल्टी स्ट्रोक पर और सिर्फ तीन फील्ड गोल थे।

पेरिस ओलंपिक के बाद हॉकी को अलविदा कहने वाले इस महान गोलकीपर ने पीटीआई मुख्यालय पर संपादकों से बातचीत में कहा ,‘‘ अधिकांश समय जब फॉरवर्ड सर्कल में जाते हैं तो उनका मकसद पेनल्टी कॉर्नर बनाना होता है क्योंकि हमारा पेनल्टी कॉर्नर अच्छा है। मैं यह नहीं कहता कि फॉरवर्ड गोल करने की कोशिश नहीं करते।’’

ओलंपिक स्वर्ण जीतने वाले नीदरलैंड ने 14 और रजत पदक विजेता जर्मनी ने 15 फील्ड गोल किये जबकि चौथे स्थान पर रहे स्पेन ने दस फील्ड गोल दागे।पेनल्टी कॉर्नर तब मिलता है जब स्ट्राइकिंग सर्कल के भीतर कोई गलती हुई हो भले ही वह गोल स्कोर करने के लिये बने मूव को रोकने के लिये नहीं हुई हो।

श्रीजेश ने कहा ,‘‘ अगर हमारे पास पेनल्टी कॉर्नर पर गोल करने का सुनहरा मौका है तो उसे गंवाना नहीं चाहिये । लेकिन हमें भारतीय हॉकी टीम को अगर अगले स्तर पर ले जाना है और लगातार ओलंपिक पदक जीतने हैं तो फील्ड गोल अधिक करने होंगे क्योंकि डिफेंस की भी सीमायें होती हैं ।’’

उन्होंने कहा ,‘‘ मुझे कहना नहीं चाहिये लेकिन हम जर्मनी नहीं हैं कि 60 मिनट तक एक गोल बचा सके। उनकी रणनीति और शैली हमसे अलग है। हमने गलतियां की और कुछ गोल गंवाये लेकिन हमारे फॉरवर्ड को अधिक गोल करने होंगे ताकि डिफेंस पर बोझ कम हो।’’

दो ओलंपिक कांस्य, दो एशियाई खेल स्वर्ण और एक कांस्य, दो चैम्पियंस ट्रॉफी खिताब, दो राष्ट्रमंडल खेल रजत के साथ श्रीजेश भारतीय हॉकी के लीजैंड बन चुके हैं जिनका नाम अब मेजर ध्यानचंद, बलबीर सिंह सीनियर, धनराज पिल्लै के साथ लिया जाता है।

श्रीजेश ने कहा ,‘‘ उस लीग में होना आसान नहीं है। जब आप सीनियर हो जाते हैं, सुर्खियों में रहते हैं तो जिम्मेदारी भी बढ जाती हैं। जूनियर खिलाड़ियों के प्रति भी जिम्मेदारी बढती है। आप खिलाड़ियों और कोचिंग स्टाफ के बीच मध्यस्थ हो जाते हैं। आप टीम के प्रवक्ता और देश के दूत बन जाते हैं और ऐसे में आपको मिसाल पेश करनी होती है।’’(भाषा)
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