• Webdunia Deals
  1. खेल-संसार
  2. »
  3. अन्य खेल
  4. »
  5. समाचार
Written By वार्ता
Last Modified: ग्वाटेमाला सिटी (वार्ता) , गुरुवार, 5 जुलाई 2007 (16:44 IST)

2014 ओलिंपिक की मेजबानी सोची को

2014 शीतकालीन ओलिंपिक सोची
रूस के राष्ट्रपति ब्लादीमिर पुतिन के जोरदार समर्थन से काले सागर के पर्यटन केन्द्र सोची ने 2014 के शीतकालीन ओलिंपिक खेलों की मेजबानी बुधवार को हासिल कर ली।

पुतिन ने ग्वाटेमाला आकर अंतरराष्ट्रीय ओलिंपिक समिति (आईओसी) की बैठक को संबोधित किया। उन्होंने अंग्रेजी, फ्रेंच और स्पेनिश में अपने संबोधन से सदस्यों का दिल जीत लिया और सोची को यह मेजबानी चार वोटों के अंतर से मिल गई।

मतदान के दूसरे राउंड में सोची को 51 वोट मिले, जबकि दक्षिण कोरिया के प्योंगचांग के पक्ष में 47 मत पडे़। ऑस्ट्रिया का साल्जबर्ग पहले राउंड के मतदान में ही होड़ से बाहर हो गया था।

पहले राउंड में प्योंगचांग को 36, सोची को 34, और साल्जबर्ग को 25 वोट मिले थे। आईओसी अध्यक्ष जैक्स रॉग ने जैसे ही मेजबान शहर की घोषणा की रूसी खेमे में खुशी की लहर छा गई।

पुतिन मतदान से पहले ही मास्को के लिए रवाना हो चुके थे, लेकिन रूस के उप प्रधानमंत्री अलेक्सांद्र झुचोव ने कहा कि पुतिन बहुत रोमांचित हैं और उन्होंने हम सब को बधाई दी है।

सोची के मेजबानी के दावे को शुरुआत में सबसे कमजोर माना जा रहा था। उस समय तक उसका कोई भी आयोजन स्थल तैयार नहीं था। मगर अपने सुविचारित अभियान और पुतिन के समर्थन से उसने सदस्यों का दिल जीत लिया।

रॉग ने कहा कि पुतिन की ग्वाटेमाला में मौजूदगी काफी महत्वपूर्ण रही। इससे सोची के दावे के पीछे सरकार के मजबूत समर्थन का इजहार हुआ जो सबसे बडी़ बात है।

आईओसी अध्यक्ष ने कहा कि सोची के 2014 के शीतकालीन ओलिंपिक खेलों का मेजबान बनने से उन्हें कोई हैरानी नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि मैंने पहले ही कहा था कि मुकाबला कांटे का होगा सोची वास्तव में इस जीत का हकदार है।

प्योंगचांग चार साल पहले भी 2010 के शीतकालीन ओलिंपिक की मेजबानी पाने की होड़ में वैंकुवर से सिर्फ तीन वोटों से मात खा गया था और इस लगातार दूसरी नाकामी ने उसे निराश कर दिया।

दक्षिण कोरियाई शहर की दावा समिति के निदेशक जियोन यौंग क्वान ने कहा कि हमारी पीठ पर छुरा घोंपा गया है। आईओसी ने जो कुछ कहा वह सब हमने किया। इस नाकामी का कारण मेरी समझ से बाहर है।

चार साल पहले भी तीसरे नंबर पर छूट साल्जबर्ग के खेमे में भी मायूसी छाई थी। ऑस्ट्रिया के प्रधानमंत्री अलफ्रेड ग्यूसनबौर ने कहा कि अगर ताकत और धन की राजनीति ही सबसे बडी़ चीज है तो हमारा नंबर शायद ही कभी आ सकेगा।