शुक्रवार, 19 अप्रैल 2024
  • Webdunia Deals
  1. धर्म-संसार
  2. धर्म-दर्शन
  3. सिख धर्म
  4. guru tegh bahadur martyrdom guru parv today
Written By

गुरु तेग बहादुर महाराज का शहीदी गुरु पर्व

गुरु तेग बहादुर महाराज का शहीदी गुरु पर्व - guru tegh bahadur martyrdom guru parv today
गुरु तेग बहादुर सिंह guru teg bahadur को सिख धर्म में क्रांतिकारी युग पुरुष कहा जाता है। गुरु तेग बहादुर सिंह का जन्म पंजाब के अमृतसर में वैशाख कृष्ण पंचमी तिथि को हुआ था। तेग बहादुर सिंह बचपन में त्यागमल नाम से पहचाने जाने वाले बहादुर, निर्भीक, विचारवान और उदार चित्त स्वभाव वाले थे। 
 
वे गुरु हर गोविंद सिंह जी के पांचवें पुत्र थे। उनकी शिक्षा-दीक्षा मीरी-पीरी के मालिक गुरु-पिता गुरु हरि गोविंद साहब की छत्र छाया में हुई। मात्र 14 वर्ष की उम्र में ही अपने पिता के साथ कंधे से कंधा मिलाकर मुगलों के हमले के खिलाफ हुए युद्ध में अपना साहस दिखाकर वीरता का परिचय दिया और उनके इसी वीरता से प्रभावित होकर गुरु हर गोविन्द सिंह जी ने उनका नाम तेग बहादुर यानी तलवार के धनी रख दिया। उन्होंने इसी समयावधि में गुरुबाणी, धर्मग्रंथों के साथ-साथ अस्त्र-शस्त्र और घुड़सवारी आदि की शिक्षा प्राप्त की। सिखों के 8वें गुरु हरिकृष्ण राय जी की अकाल मृत्यु के बाद गुरु तेग बहादुर जी को नौवां गुरु बनाया गया था। 
 
उन्होंने धर्म, मानवीय मूल्य, आदर्श तथा सिद्धांतों की रक्षा करने के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी। सिख धर्म के नौंवें गुरु, guru teg bahadur गुरु तेग बहादुर सिंह ने धर्म की रक्षा, धार्मिक स्वतंत्रता के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर करके सही अर्थों में 'हिन्द की चादर' कहलाए। ऐसे वीरता और साहस की मिसाल थे गुरु तेग बहादुर सिंह जी। विश्व इतिहास में आज भी उनका नाम एक वीरपुरुष के रूप में बड़े ही सम्मान के साथ लिया जाता है।

 
गुरु तेग बहादुर सिंह के अनुसार किसी की भी गलतियां हमेशा क्षमा की जा सकती हैं, यदि आपके पास उन्हें स्वीकारने का साहस हो। वे कहते थे एक सज्जन व्यक्ति वह है जो अनजाने में भी किसी की भावनाओ को ठेस ना पहुंचाएं। हर मनुष्य का कर्तव्य है कि वह एक जीवित प्राणी के प्रति दया भाव रखें और अपने मन से घृणा का विनाश करें। अपने कई खास उपदेशों, विचारों और धर्म की रक्षा के प्रति अपना जज्बा कायम रखने वाले गुरु तेग बहादुर सिंह (biography of guru tegh bahadur) जी का सिख धर्म में अद्वितीय स्थान है। 
 
मध्ययुगीन इतिहास में बिरला नाम रखने वाले गुरु तेग बहादुर सिंह में निष्ठा, समता, करुणा, प्रेम, सहानुभूति, त्याग और बलिदान जैसे विशेष गुण विद्यमान थे। उन्होंने अपने जीवन काल में 15 रागों में 116 शबद यानी श्लोकों सहित उनकी रचित बाणी आज भी श्रीगुरु ग्रंथ साहिब में संकलित हैं। 
 
माना जाता है कि मुगल बादशाह ने गुरु तेग बहादुर से इस्लाम या मौत दोनों में से एक चुनने के लिए कहा। जब मुगल बादशाह औरंगजेब चाहता था कि गुरु तेग बहादुर जी सिख धर्म को छोड़कर इस्लाम धर्म को स्वीकार कर लें, लेकिन जब गुरु तेग बहादुर जी ने इस बात से इनकार कर दिया तब औरंगजेब ने गुरु तेग बहादुर जी का सिर कटवा दिया था।


उनके इसी बलिदान के स्वरूप में उनके निशान साहिब के चोले की सेवा, श्री अखंड साहिब पाठ, कीर्तन, दीवान सजाया जाएगा, इस दौरान रागी जत्था शबद गायन भी करेंगे। इसका मुख्य कार्यक्रम 12 दिसंबर को होगा। इस खास अवसर पर सिख धर्मावलंबी गुरु तेग बहादुर के शहीदी गुरु पर्व में गुरु घर में हाजिरी भरकर मत्था टेकेंगे और सिख धर्म के अनुसार गुरु तेग बहादुर जी के 346वां शहीदी गुरु पर्व है। 

ये भी पढ़ें
Singh Rashi 2022 : सिंह राशि का कैसा रहेगा जनवरी माह 2022 का भविष्यफल