देह सिवा बरु मोहि इहै : प्रधानमंत्री मोदी ने पढ़ा गुरु गोविन्द सिंह का यह शबद, जानिए इसका हिंदी अर्थ
प्रधानमंत्री मोदी ने पढ़ा गुरु गोविन्द सिंह का यह शबद
आज नानक जयंती है.....प्रधानमंत्री मोदी ने आज कृषि कानून वापिस लेने की घोषणा के बाद अंत में गुरु गोविन्द सिंह द्वारा रचित शबद देह सिवा बरु मोहि इहै पढ़ा.....
देह सिवा बरु मोहि इहै गुरु गोविन्द सिंह द्वारा रचित दसम ग्रंथ के चण्डी चरितर में स्थित एक शबद है। इसमें गुरुजी चण्डी की स्तुति करते हुए उनसे वरदान मांगते हैं कि मैं कभी भी शुभ कर्मों को करने से पीछे न हटूँ। यह शबद ब्रजभाषा में है।
देह सिवा बरु मोहि इहै सुभ करमन ते कबहूं न टरों।
न डरों अरि सो जब जाइ लरों निसचै करि अपुनी जीत करों ॥
अरु सिख हों आपने ही मन कौ इह लालच हउ गुन तउ उचरों।
जब आव की अउध निदान बनै अति ही रन मै तब जूझ मरों ॥
अर्थ
हे शिवा ! मुझे यह वर दें कि मैं शुभ कर्मों को करने से कभी भी पीछे न हटूँ।
जब मैं युद्ध करने जाऊँ तो शत्रु से न डरूँ और युद्ध में अपनी जीत पक्की करूँ।
और मैं अपने मन को यह सिखा सकूं कि वह इस बात का लालच करे कि आपके गुणों का बखान करता रहूँ। जब अन्तिम समय आये तब मैं रणक्षेत्र में युद्ध करते हुए मरूँ।