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Written By WD

सेक्स एज्युकेशन : नहीं है आसान

अटपटे प्रश्नों से चकराए टीचर्स

Sex Education | सेक्स एज्युकेशन : नहीं है आसान
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ब्रिटेन में किशोर उम्र के लड़के व लड़कियों को सेक्स एज्युकेशन देने के कार्यक्रम तो शुरू कर दिए गए हैं, लेकिन शिक्षकों के सामने ऐसी मुश्किलें आ रही हैं कि आखिर बच्चों ो कैसे समझाया जाए।

बच्चे सेक्स रिलेशन के बारे में ऐसे अटपटे सवाल पूछते हैं,जिनका टीचर्स के पास कोई जवाब नहीं होता। बच्चे खासतौर से अप्राकृतिक यानी पुरुष और पुरुष के बीच यौन संबंधों और ओरल सेक्स रिलेशन के बारे में बहुत सवाल पूछते हैं।

इन सवालों ने ब्रिटेन के सेक्स एज्युकेशन प्रोग्राम की प्रासंगिकता पर ही सवाल खड़े कर दिए हैं। एक्जेटेर विश्वविद्यालय ने कुछ समय पहले किशोरों में यौन शिक्षा के बारे में एक कार्यक्रम शुरू किया था जो अब करीब 150 स्कूलों में चल रहा है। इस कार्यक्रम को सरकार के स्वास्थ्य और शिक्षा विभाग से सहायता दी जाती है। पूरे यूरोप में यह इस तरह का बिलकुल पहला कार्यक्रम था, जिसका मकसद किशोर लड़कियों के माँ बनने के मामलों में कमी लाना था।

ब्रिटेन ऐसा देश है, जहाँ किशोर लड़कियों के माँ बनने के सबसे ज्यादा मामले होते हैं। यूँ भी कह सकते हैं कि ब्रिटेन में टीन एजर लड़कियाँ अन्य देशों की लड़कियों की अपेक्षा ज्यादा गर्भवती होती हैं।

 
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अटपटे सवाल
डोकास्टर की एक शिक्षिका लिंडा ब्राइन कहती है कि इस यौन शिक्षा कार्यक्रम से किशोरों में कोई जागरूकता नहीं बनी है, उलटे उन्हें यह समझाना ही मुश्किल है कि 16 साल से कम उम्र में यौन संबंध बनाना क्यों गैर कानूनी है। लिंडा की चिंता यह है कि किशोरों के यौन शिक्षा के बारे में पूछे जाने वाले अटपटे सवालों के जवाब किस तरह से दिए जाएँ।

एक पंद्रह साल का लड़का पूछता है कि पुरुष और पुरुष के बीच यौन संबंध कैसे कायम किए जाते हैं? क्या एक महिला और पुरुष भी इसी तरह के यौन संबंध कायम कर सकते हैं? लिंडा खुद से ही सवाल करती है कि इस उम्र के बच्चे ऐसे सवाल क्यों पूछते हैं?

लिंडा ब्राइन एक रोमक कैथोलिक ईसाई है और दो बच्चों की माँ है, वह एक कुशल विज्ञान शिक्षिका है और कहती है कि किशोरों में यौन शिक्षा देते समय वह खुद भी पूरी तरह अपने अध्यापन से संतुष्ट नहीं होती है। कई चीजें वह चाहकर भी खुलकर नहीं बता पाती और जो बताती है वह बच्चों की आँखों में शरारत पढ़कर अटकने लगती है।

 
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समाधान
इस यौन शिक्षा का असल मकसद किशोरों में यह जागरूकता पैदा करना है कि वे यौन संबंध बनाने में जल्दबाजी न करें, क्योंकि आगे चलकर उन्हें अपने इस काम के लिए पछताना भी पड़ सकता है।

इस कार्यक्रम के मैनेजर जॉन रीज कहते हैं कि इसके तहत्‌ बच्चों को पूरी तरह स्पष्ट कर दिया गया है कि 16 वर्ष से कम उम्र में यौन संबंध कायम करना कानून के खिलाफ है। किशोरों को यह समझाने की कोशिश की जाती है कि बेशक भावनात्मक संबंध जरूर रखें, लेकिन शारीरिक संबंधों से बचने की कोशिश करें, क्योंकि इससे लड़कियाँ गर्भवती हो सकती हैं जो उनके लिए उस उम्र में उपयुक्त नहीं है।

यह कार्यक्रम कहता है कि आप हाथ में हाथ डालकर टहल सकते हैं, एक-दूसरे का चुंबन ले सकते हैं और आँखों के द्वारा प्रेम की अभिव्यक्ति कर सकते हैं, लेकिन शारीरिक संबंध आपके हालात को जटिल बना सकते हैं।

सरकारी निर्देशों में कहा गया है कि यौन शिक्षा कार्यक्रम का उद्देश्य किशोरों में पारिवारिक मूल्य विकसित करना और जीवन में विवाहित जीवन और भावनात्मक रूप से स्थायी संबंधों का महत्व समझाना है, जिससे उनमें प्रेम के लिए इज्जत पैदा हो। यह बच्चों में यौन क्रियाओं और यौन स्वास्थ्य के बारे में भी जागरूकता पैदा करने के लिए है, इस कार्यक्रम का मकसद किशोरों में यौन गतिविधियाँ बढ़ाना कतई नहीं है।
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