अर्थात : कर्पूर के समान चमकीले गौर वर्णवाले, करुणा के साक्षात् अवतार, इस असार संसार के एकमात्र सार, गले में भुजंग की माला डाले, भगवान शंकर जो माता भवानी के साथ भक्तों के हृदय कमलों में सदा सर्वदा बसे रहते हैं...हम उन देवाधिदेव की वंदना करते हैं।
हिन्दू धर्म में संध्यावंदन, आरती या प्रार्थना के बाद कर्पूर जलाकर उसकी आरती लेने की परंपरा है। पूजन, आरती आदि धार्मिक कार्यों में कर्पूर का विशेष महत्व बताया गया है। रात्रि में सोने से पूर्व कर्पूर जलाकर सोना तो और भी लाभदायक है।
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कर्पूर के फायदे : पितृदोष निदान : कर्पूर अति सुगंधित पदार्थ होता है। इसके दहन से वातावरण सुगंधित हो जाता है। कर्पूर जलाने से देवदोष व पितृदोष का शमन होता है।
अनिंद्रा : रात में सोते वक्त कर्पूर जलाने से नींद अच्छी आती है। प्रतिदिन सुबह और शाम कर्पूर जलाते रहने से घर में किसी भी प्रकार की आकस्मि घटना और दुर्घटना नहीं होती।
जीवाणु नाशक : वैज्ञानिक शोधों से यह भी ज्ञात हुआ है कि इसकी सुगंध से जीवाणु, विषाणु आदि बीमारी फैलाने वाले जीव नष्ट हो जाते हैं जिससे वातावरण शुद्ध हो जाता है तथा बीमारी होने का भय भी नहीं रहता।
औषधि के रूप में उपयोग : * कर्पूर का तेल त्वचा में रक्त संचार को सहज बनाता है। * गर्दन में दर्द होने पर कर्पूर युक्त बाम लगाने पर आराम मिलता है। * सूजन, मुहांसे और तैलीयत्वचा के उपचार में इसका उपयोग किया जाता है। * आर्थराइटिस के दर्द से राहत पाने के लिए कर्पूर मिश्रित मलहम का प्रयोग करें। * पानी में कर्पूर के तेल की कुछ बूंदों को डालकर नहाएं। यह आपको तरोताजा रखेगा। * कफ की वजह से छाती में होने वाली जकड़न में कर्पूर का तेल मलने से राहत मिलती है। * कर्पूर युक्त मलहम की मालिश से मोच और मांसपेशियों में खिंचाव और दर्द में राहत मिलती है।
नोट : गर्भावस्था या अस्थमा के मरीजों को कर्पूर तेल का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।