आदित्य-विश्व-वसवस् तुषिताभास्वरानिलाः
महाराजिक-साध्याश् च रुद्राश् च गणदेवताः ॥10॥-नामलिङ्गानुशासनम्
कुल 424 देवता और देवगण हैं : वेदों के अनुसार प्रमुख 33 देवता हैं, 36 तुषित, 10 विश्वेदेवा, 12 साध्यदेव, 64 आभास्वर, 49 मरुत्, 220 महाराजिक मिलाकर कुल 424 देवता और देवगण हैं। देवगण अर्थात देवताओं के गण, जो उनके लिए कार्य करते हैं। हालांकि गणों की संख्या अनंत है, लेकिन 3 देव के अलावा देवताओं की संख्या 33 ही है। इसके अलावा प्रमुख 10 आंगिरसदेव और 9 देवगणों की संख्या भी बताई गई है। महाराजिकों की कहीं कहीं संख्या 236 और 226 भी मिलती है।
त्रिदेव : हिन्दू धर्म में सर्वप्रथम त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु और महेश महत्वपूर्ण हैं। उक्त त्रिदेव के जनक हैं सदाशिव और दुर्गा। उक्त त्रिदेव की पत्नियां हैं- सरस्वती, लक्ष्मी और पार्वती। पार्वती अपने पूर्व जन्म में सती थीं। उल्लेखनीय है कि राम, कृष्ण और बुद्ध आदि को देवता नहीं, भगवान विष्णु का अवतार कहा गया है।
देवकुल : देवकुल में मुख्यत: 33 देवता हैं। इन 33 देवताओं के अलावा मरुद्गणों और यक्षों को भी देवताओं के समूह में शामिल किया गया है। त्रिदेवों ने सभी देवताओं को अलग-अलग कार्य पर नियुक्त किया है। वर्तमान मन्वन्तर में ब्रह्मा के पौत्र कश्यप से ही देवता और दैत्यों के कुल का निर्माण हुआ। ऋषि कश्यप ब्रह्माजी के मानस-पुत्र मरीची के विद्वान पुत्र थे। इनकी माता 'कला' कर्दम ऋषि की पुत्री और कपिल देव की बहन थीं। महर्षि कश्यप की अदिति, दिति, दनु, काष्ठा, अरिष्टा, सुरसा, इला, मुनि, क्रोधवशा, ताम्रा, सुरभि, सुरसा, तिमि, विनता, कद्रू, पतांगी और यामिनी आदि पत्नियां बनीं।
ऋषि कश्यप का कुल
त्रिदेव : ब्रह्मा, विष्णु और महेश।
त्रिदेवी : सरस्वती, लक्ष्मी और पार्वती।
पार्वती ही पिछले जन्म में सती थीं। सती के ही 10 रूप 10 महाविद्या के नाम से विख्यात हुए और उन्हीं को 9 दुर्गा कहा गया है। आदिशक्ति मां दुर्गा और पार्वती अलग-अलग हैं। दुर्गा सर्वोच्च शक्ति हैं, लेकिन उन्हें कहीं कहीं पार्वती के रूप में भी दर्शाया गया है।
*प्रमुख 33 देवता:- 12 आदित्य, 8 वसु, 11 रुद्र और इन्द्र व प्रजापति को मिलाकर कुल 33 देवता होते हैं। कुछ विद्वान इन्द्र और प्रजापति की जगह 2 अश्विनी कुमारों को रखते हैं। प्रजापति ही ब्रह्मा हैं, रुद्र ही शिव और आदित्यों में एक विष्णु हैं।
*देवताओं के गण:-
33 देवताओं के अतिरिक्त ये गण और माने गए हैं- 36 तुषित, 10 विश्वेदेवा, 12 साध्य, 64 आभास्वर, 49 मरुत, 220 महाराजिक। इस प्रकार वैदिक देवताओं के गण और परवर्ती देवगणों को मिलाकर कुल संख्या 424 होती है। उक्त सभी गणों के अधिपति भगवान गणेश हैं। गणाधिपति गजानन गणेश। गणेश की आराधना करने से सभी की आराधना हो जाती है।