शुक्रवार, 20 दिसंबर 2024
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Written By अनिरुद्ध जोशी

मात्र ये 6 फूल मिटा देंगे आपके जीवन का सारा दुख

मात्र ये 6 फूल मिटा देंगे आपके जीवन का सारा दुख | scented flowers plants
यदि आपके जीवन में तनाव, कलह और चिंता है तो आप निम्नलिखित पांच तरह के फूलों के पैधे घर-आंगन में लगा लें या प्रतिदिन इनके ताजा फूलों को अपने घर में किसी उचित स्थान पर जल के पात्र में रखें। निश्चित ही ऐसा करते रहने से आपके जीवन के सारे संताप मिट जाएंगे। मन और मस्तिष्क शांत रहेगा। शांत मन और मस्तिष्क में ही प्रसन्नता होती है। जहां प्रसन्नता और हंसी होती है वहीं लक्ष्मी भी होती है। जीवन में सुगंध नहीं है तो प्रसन्नता और शांति भी नहीं है।
 
 
1.चम्पा के फूल : चम्पा को अंग्रेजी में प्लूमेरिया कहते हैं। चम्पा के खूबसूरत, मंद, सुगंधित हल्के सफेद, पीले फूल अक्सर पूजा में उपयोग किए जाते हैं। चम्पा का वृक्ष मंदिर परिसर और आश्रम के वातावरण को शुद्ध करने के लिए लगाया जाता है। चम्पा के वृक्षों का उपयोग घर, पार्क, पार्किंग स्थल और सजावटी पौधे के रूप में किया जाता है।
 
हिन्दू पौराणिक कथाओं में एक कहावत है:-
'चम्पा तुझमें तीन गुण- रंग रूप और वास, अवगुण तुझमें एक ही भंवर न आएं पास।'
रूप तेज तो राधिके, अरु भंवर कृष्ण को दास, इस मर्यादा के लिए भंवर न आएं पास।।
 
चम्पा में पराग नहीं होता है इसलिए इसके पुष्प पर मधुमक्खियां कभी भी नहीं बैठती हैं। चम्पा को कामदेव के 5 फूलों में गिना जाता है। देवी मां ललिता अम्बिका के चरणों में भी चम्पा के फूल को अन्य फूलों, जैसे अशोक, पुन्नाग के साथ सजाया जाता है। चम्पा का वृक्ष वास्तु की दृष्टि से सौभाग्य का प्रतीक माना गया है।
 
चम्पा मुख्यत: 5 प्रकार की होती हैं- 1. सोन चम्पा, 2. नाग चम्पा, 3. कनक चम्पा, 4. सुल्तान चम्पा और 5. कटहरी चम्पा। सभी तरह की चम्पा एक से एक अद्भुत और सुंदर होती है और इनकी सुगंध के तो क्या कहने!
 
 
2.पारिजात का फूल : पारिजात के फूलों को हरसिंगार और शैफालिका भी कहा जाता है। अंग्रेजी में इसे नाइट जेस्मिन और उर्दू में गुलजाफरी कहते हैं। पारिजात के फूल आपके जीवन से तनाव हटाकर खुशियां ही खुशियां भर सकने की ताकत रखते हैं। पारिजात के ये अद्भुत फूल सिर्फ रात में ही खिलते हैं और सुबह होते-होते वे सब मुरझा जाते हैं। यह माना जाता है कि पारिजात के वृक्ष को छूने मात्र से ही व्यक्ति की थकान मिट जाती है।
 
 
हरिवंशपुराण में इस वृक्ष और फूलों का विस्तार से वर्णन मिलता है। इन फूलों को खासतौर पर लक्ष्मी पूजन के लिए इस्तेमाल किया जाता है लेकिन केवल उन्हीं फूलों को इस्तेमाल किया जाता है, जो अपने आप पेड़ से टूटकर नीचे गिर जाते हैं। यह फूल जिसके भी घर-आंगन में खिलते हैं, वहां हमेशा शांति और समृद्धि का निवास होता है।
 
3.रातरानी के फूल : इसे चांदनी के फूल भी कहते हैं। रातरानी के फूल मदमस्त खुशबू बिखेरते हैं। इसकी खुशबू बहुत दूर तक जाती है। इसके छोटे-छोटे फूल गुच्छे में आते हैं तथा रात में खिलते हैं और सवेरे सिकुड़ जाते हैं। रातरानी के फूल साल में 5 या 6 बार आते हैं। हर बार 7 से 10 दिन तक अपनी खुशबू बिखेरकर बहुत ही शांतिमय और खुशबूदार वातावरण निर्मित कर देते हैं। जिसकी भी नाक में इसकी सुगंध जाती है, वह वहीं ठहर जाता है। इसकी सुगंध सूंघते रहने से जीवन के सारे संताप मिट जाते हैं।
 
रातरानी और चमेली के फूलों का इत्र भी बनता है। रातरानी और चमेली के फूलों से महिलाएं गजरा बनाती हैं, जो बालों में लगाया जाता है। रातरानी का पौधा एक सदाबहार झाड़ी वाला 13 फुट तक हो सकता है। इसकी पत्तियां सरल, संकीर्ण चाकू जैसी लंबी, चिकनी और चमकदार होती हैं। फूल एक दुबला ट्यूबलर जैसा साथ ही हरा और सफेद होता है।
 
4.रजनीगंधा : रजनीगंधा का पौधा पूरे भारत में पाया जाता है। मैदानी क्षेत्रों में अप्रैल से सितम्बर तथा पहाड़ी क्षेत्रों में जून से सितम्बर माह में फूल निकलते हैं। रजनीगंधा की तीन किस्में होती है। रजनीगंधा के फूलों का उपयोग माला और गुलदस्ते बनाने में किया जाता है। इसकी लम्बी डंडियों को सजावट के रूप में भी प्रयोग किया जाता है। इसका सुगंधित तेल और इत्र भी बनता है। इसके कई औषधीय गुण भी है।
 
 
5.मोगरा : इसे संस्कृत में 'मालती' तथा 'मल्लिका' कहते हैं। मोगरे के फूल गर्मियों में खिलते हैं। इसकी भीनी-भीनी महक से तन और मन को ठंडक का अहसास होता है। इसका फूल सफेद रंग का होता है। जैसे-जैसे गर्मी बढ़ती है, इसकी सुगंध आपको गर्मी के अहसास से दूर रखती है। मोगरा कोढ़, मुंह और आंख के रोगों में लाभ देता है।
 
6.जूही के फूल : जूही की झाड़ी अपने सुगंध वाले फूलों के करण बगीचों में लगाई जाती है। जूही के फूल छोटे तथा सफेद रंग के होते हैं और चमेली से मिलते-जुलते हैं। फूल वर्षा ऋतु में खिलते हैं। इसकी सुगंध से मन और मस्तिष्क के सारे तनाव हट जाते हैं और यह वातावरण को शुद्ध बना देता है।
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