प्रेम गीत : देखो रात हुई और चांद खिला
देखो रात हुई और चांद खिला
हम दीवाने यूं ही मचलते हैं
हाल दिलों का क्या कहें हम
सिर्फ तुमको देखा करते हैं
कुछ मद्धम-मद्धम बारिश की बूंदे
ऊपर से आ गई, टकराई है
हमने सोचा कि तुम्हारे आंसू बहे
तुम्हें याद हमारी आई है
इन रातों में सौगातों में
एक हल्का पवन का झोंका चला
दिल ने हमसे फिर से कहा
कि तुमने कोई पैगाम दिया
इस पैगाम को नजरों में लेकर
हम यूं ही भटकते रहते है
तेरी याद में गीत गुनगुनाते हैं
तेरी याद में गजल सुनाते हैं॥
(वेबदुनिया पर दिए किसी भी कंटेट के प्रकाशन के लिए लेखक/वेबदुनिया की अनुमति/स्वीकृति आवश्यक है, इसके बिना रचनाओं/लेखों का उपयोग वर्जित है...)