साहित्य 2013 : गमगीन कर गया साल
अलविदा 2013
हिन्दी साहित्य के लिए वर्ष 2013 राजेन्द्र यादव, विजयदान देथा, ओमप्रकाश वाल्मीकि, केपी सक्सेना, हरिकृष्ण देवसरे जैसे कई बड़े रचनाकारों के निधन के कारण रिक्तताओं वाला वर्ष रहा। साल में साहित्य से जुड़े तमाम विवाद सामने आए और कई नई पुस्तकों को पाठकों ने हाथों हाथ लिया। हिन्दी साहित्य में ‘नई कहानी आंदोलन’ की त्रयी में शामिल चिरपरिचित रचनाकार और ‘हंस’ के संपादक राजेन्द्र यादव का 28 अक्टूबर को निधन हो गया। राजेन्द्र यादव को उनके समग्र लेखन के लिए वर्ष 2003-04 के शलाका सम्मान प्रदान किया गया था।राजेन्द्र यादव के बाद लोककथाओं को साहित्य में उतारने वाले पद्म श्री और साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित उम्दा शिल्प के कहानीकार विजयदान देथा का 10 नवंबर को निधन हो गया।दलित साहित्य के विकास में महत्पवूर्ण भूमिका निभाने वाले ओमप्रकाश वाल्मीकि का 17 नवंबर को निधन हो गया। वह दलित साहित्य के प्रतिनिधि रचनाकारों में से एक थे। अपनी आत्मकथा ‘जूठन’ में उन्होंने वंचित वर्ग की समस्याओं पर ध्यान आकृष्ट किया था। 1993 में उन्हें डॉ. अंबेडकर राष्ट्रीय पुरस्कार, 1995 में परिवेश सम्मान और 2008-09 में साहित्यभूषण पुरस्कार से अलंकृत किया गया था।14
नवंबर को बाल साहित्य लेखक हरिकृष्ण देवसरे का लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। देवसरे का नाम हिन्दी साहित्य के अग्रणी लेखकों में था। बच्चों के लिए रचित उनके साहित्य को विशेष रूप से पसंद किया गया। उन्हें 2011 में साहित्य अकादमी बाल साहित्य लाइफटाइम पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उन्होंने तीन सौ से ज्यादा पुस्तकें लिखी थीं। देवसरे को बाल साहित्यकार सम्मान, उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान के बाल साहित्य सम्मान, कीर्ति सम्मान 2001 और हिन्दी अकादमी का साहित्यकार सम्मान 2004 सहित कई पुरस्कारों और सम्मानों से नवाजा गया था। प्रसिद्ध व्यंग्यकार केपी सक्सेना का लंबी बीमारी के बाद 31 अक्टूबर को निधन हो गया। वह कैंसर से पीड़ित थे। सक्सेना को भारत सरकार ने वर्ष 2000 में पद्मश्री से सम्मानित किया था।सक्सेना ने हिन्दी फिल्मों के पटकथा लेखन में भी अपना हाथ आजमाया एवं फिल्म लगान, स्वदेश, हलचल तथा जोधा अकबर का संवाद लेखन किया।
पुरस्कार और सम्मान पर एक नजर अगले पेज पर
इस साल कुछ बहुप्रतीक्षित रचनाकारों को सम्मान एवं पुरस्कार से नवाजा गया। दिसंबर में शायर जावेद अख्तर को उर्दू के लिए उनकी पुस्तक ‘लावा’ और मृदुला गर्ग को हिन्दी के उनके उपन्यास ‘मिलजुल मन’ के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार देने की घोषणा की गई। घोषित पुरस्कार 11 मार्च 2014 को प्रदान किए जाएंगे।