दिल्ली गैंग रेप केस और गणतंत्र दिवस
- वेबदुनिया डेस्क
पिछले दिनों हुए दिल्ली गैंग रेप केस के बाद अधिकांश युवाओं ने यह तय किया कि वे गणतंत्र दिवस पर आयोजित समारोह में शामिल होने नहीं जाएंगे। उनका मानना है कि जिस देश में तंत्र और गण के बीच इतना बड़ा फासला हो वहां कैसा गणतंत्र? और कैसा दिवस? सरकार अकेली मना लें अपना गणतंत्र दिवस। वहीं देश के बुजुर्गों का कहना है कि गणतंत्र दिवस सरकार की बपौती नहीं है। यह हम सबका अपना राष्ट्र पर्व है इसे हम किसी भी घटना के विरोध के लिए इस्तेमाल नहीं कर सकते। दिल्ली में जो हुआ वह निहायत ही शर्मनाक है लेकिन इसके विरोध स्वरूप अपने राष्ट्रीय त्योहार को उपेक्षित करना उचित नहीं है। इस संबंध में वेबदुनिया टीम ने बात की कुछ युवाओं से और कुछ वरिष्ठजनों से। आइए शामिल होते हैं इस बहस में कि क्या दिल्ली गैंग रेप के विरुद्ध गणतंत्र दिवस समारोह का बहिष्कार करना उचित है? युवाओं का पक्ष आशुतोष नीमा, (इंजीनियर) 27 वर्ष, दिल्ली- मैं इस बात से बिलकुल सहमत हूं कि दिल्ली में हुए उस गंदे केस के बाद हमें गणतंत्र दिवस पर ना तो परेड देखने जाना चाहिए और ना ही राष्ट्र के नाम संदेश सुनना चाहिए। उस दिन राष्ट्रपति को क्या हो गया था जब इंडिया गेट पर निर्दोष युवाओं पर पुलिस डंडे बरसा रही थीं। सरकार की तरफ से भी हमसे वह डॉयलॉग नहीं हुआ जो परिस्थिति के अनुसार होना चाहिए था फिर हम क्यों मनाएं गणतंत्र दिवस? इशिका मेहता( मेडिकल छात्रा) 23 वर्ष, जयपुर वाकई नहीं मनाना चाहिए गणतंत्र दिवस। आखिर क्यों मनाएं? जब इस देश में लड़कियां इतनी बुरी हालात में है? सरेआम उसकी इज्जत लूट ली जाती है और सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी रहती है, ऐसी सरकार के झुठे वादे सुनने बिलकुल भी नहीं जाना चाहिए लोगों को। और तो और मात्र इतने से दिनों में वह माहौल भी ठंडा हो गया जो सरकार के खिलाफ बना था। मुझे दुख होता है उस लड़की के लिए और उस जैसी दूसरी लड़कियों के लिए... कल को यह मेरे साथ भी हो सकता है अगर आज मैं सब कुछ भूल जाती हूं तो मैं भी सरकार जितनी ही अपराधी हूं...। वंशिका भारद्वाज (आर्किटेक्ट) 26 वर्ष, मुंबई अगर आज युवा रिपब्लिक डे का विरोध कर रहा है तो ऐसा करने के लिए उसे मजबूर किसने किया? पहली बार देश में किसी लड़की की इज्जत के लिए इतना 'एग्रेसिव' माहौल बना और उस का प्रभाव भी पड़ा। पहली बार यह देखकर अच्छा लगा कि इस देश में आज भी ऐसे लड़के हैं जो लड़कियों के प्रति संवेदनशील हैं। लेकिन उनको संवेदनशील होने का सरकार की तरफ से क्या 'गिफ्ट' मिला? दिल्ली पुलिस की ज्यादती... कभी तो इस देश को यह 'स्टैंड' लेना पड़ेगा कि यह लोकतंत्र है और लोक को दबाकर तंत्र जिंदा नहीं रह सकता। जब कोई समारोह में शामिल नहीं होगा तो अकेली सरकार क्या कर लेगी, यह देखने लायक होगा।